हरियाणा में किसान फसली मुआवजे के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं. हाल की बारिश और ओलावृष्टि ने उन्हें ऐसा रूलाया कि वे सड़कों पर आ गए. खेतों में खड़ी फसलें चौपट हो गईं. जो उपज खेत और खलिहान से किसान के घर जाने वाली थी, वह मिट्टी में मिल गई. ऐसे में किसानों के सामने दूसरा कोई चारा न था कि वे सरकार से गुहार लगाएं. सो, किसानों ने मुआवजे की हुंकार भरी. सरकारी विभागों ने इसमें हिला-हवाली की तो किसानों ने दफ्तरों को घेरा. यहां तक कि धरने पर बैठे और सड़कों पर विरोध मार्च निकाला. लेकिन आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि सरकार ने किसानों के लिए मुआवजे का पैसा रिलीज किया था, पर विभागों ने उस फंड को बैरंग लौटा दिया. ताजा मामला रोहतक जिले का है.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहतक में फसली मुआवजे का 24 करोड़ रुपये इसलिए लौटा दिए गए क्योंकि उसे समय पर किसानों के बीच नहीं बांटा जा सका. ये वही फंड है जिसे बीते एक साल में फसलों के नुकसान पर किसानों को दिया जाना था. लेकिन सरकारी विभागों ने इस पैसे का इस्तेमाल नहीं किया और इसे राज्य सरकार को लौटा दिया.
आधिकारिक सूत्रों ने 'दि ट्रिब्यून' को बताया कि बीते वित्त वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च 2023 तक फसल मुआवजे के फंड का इस्तेमाल नहीं हो सका. इस मद में सरकार ने 24 करोड़ रुपये जारी किए थे. मगर पैसे का इस्तेमाल नहीं हो सका और उसे विभागों ने राज्य सरकार को लौटा दिया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि 24 करोड़ रुपये की राशि वही है जिसकी मांग में हरियाणा के लाखों किसान अब भी आंदोलनरत हैं. ये वही किसान हैं जो चीख-चीख कर बता रहे हैं कि उनकी खून-पसीने की मेहनत मारी गई है, इसलिए सरकार उन्हें राहत दे. दूसरी ओर सरकारी विभाग इस पैसों को किसानों के बीच नहीं बांट पाए.
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जब पैसा लौट गया तब स्थानीय प्रशासन की नींद खुली है. रिपोर्ट कहती है, रोहतक का स्थानीय प्रशासन अब दोबारा उस पैसे को वापस लेने के लिए प्रयास कर रहा है ताकि पीड़ित किसानों के बीच राहत राशि बांटी जा सके. इस बीच, बुधवार को ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) की जिला यूनिट ने रोहतक में विरोध प्रदर्शन किया और पिछले साल के फसल नुकसान का मुआवजा मांगा. किसान सभा पहले भी इस तरह का विरोध प्रदर्शन कर चुकी है और किसानों के लिए आवाज उठा चुकी है.
एआईकेएस के राज्य महासचिव सुमित दलाल ने कहा कि किसानों को खरीफ-2022 और रबी-2023 में हुए नुकसान का बीमा मुआवजा नहीं मिल रहा है क्योंकि इसे सरकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है. किसान सभा ने फसल-नुकसान राहत देने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की शर्तों और ऐसी अन्य प्रक्रियाओं का विरोध किया है और मांग की है कि प्रभावित किसानों को बिना शर्त मुआवजा दिया जाए.
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रोहतक के जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) चंदर मोहन ने बताया कि पिछले साल रोहतक जिले के प्रभावित किसानों को फसल-नुकसान राहत देने के लिए राज्य सरकार ने लगभग 24 करोड़ जारी किए थे. अब इस राशि को वापस भेज दिया गया है क्योंकि इसका उपयोग पिछले वित्त वर्ष के अंत तक नहीं किया जा सका था. वे कहते हैं कि कुछ टेक्निकल वजहों से इस राशि का उपयोग नहीं हो सका. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि उस पैसे को दोबारा मंगाने और किसानों के बीच बांटने की पूरी कोशिश की जा रही है.
दूसरी ओर, रोहतक के डीसी अजय कुमार ने कहा है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने मोबाइल फोन नंबर और खाता विवरण दर्ज करके उन किसानों के भूमि विवरण के साथ फसल-नुकसान मुआवजे का दावा किया था जिनकी फसल खराब हो गई थी. उन्होंने किसानों को सलाह दी कि अगर उनके साथ धोखाधड़ी होती है तो वे अपनी शिकायत स्थानीय एसडीएम/तहसीलदार के कार्यालय में दर्ज कराएं.
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