बिहार में भूमि सर्वे का काम शुरू हुए लगभग एक साल बीत चुका है, लेकिन चुनावी साल आते ही इस काम में कई तरह की रुकावटें खड़ी होती नजर आ रही हैं. एक ओर, अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर हड़ताल कर रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण संविदा कर्मियों की सेवा विभाग ने समाप्त करते हुए नए सिरे से बहाली प्रक्रिया शुरू करने की बात कह रहा है. वहीं दूसरी ओर, 16 अगस्त से शुरू हुए राजस्व महाअभियान के तहत लोग अपनी जमीन में दर्ज त्रुटियों को सुधारने के लिए पंचायत स्तर पर लग रहे शिविरों की ओर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के लिए दोनों कार्यों को समय पर करना किसी चुनौती से कम नहीं है.
'किसान तक' को दिए इंटरव्यू में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक सिंह ने बताया कि हड़ताल पर जाने से पहले संविदा कर्मियों ने विभाग से अपनी मांगों को लेकर बातचीत नहीं की. अगर वह बात करने के लिए आते तो यह स्पष्ट कर दिया जाता कि उनकी कौन-सी मांग विभाग के द्वारा मानी जाएगी और कौन-सी बात नहीं मानी जाएगी. वहीं, दो बार इन्हें काम पर वापस आने को लेकर मौका दिया गया, लेकिन यह वापस नहीं आए. इसके बाद विभाग की ओर से करीब 7 हजार से अधिक विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों को उनकी सेवा से मुक्त कर दिया गया है, जबकि 3295 संविदा कर्मी ड्यूटी पर वापस लौट आए हैं.
उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण का काम नियमित रूप से चले, इसको लेकर नए सिरे से बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. वहीं, चुनाव की घोषणा से पहले नई बहाली को लेकर विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा, ताकि आवेदन लेने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो.
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह से जब यह पूछा गया कि नई बहाली में क्या पुराने संविदा कर्मी आवेदन कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि अभी विभाग की ओर से इस पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है. वहीं, आगे जो निर्णय लिया जाएगा, उसके बाद कुछ कहा जा सकता है. सेवा मुक्त संविदा कर्मियों को क्या फिर से एक बार मौका मिल सकता है, इसको लेकर उन्होंने कहा कि विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों ने कभी प्रयास ही नहीं किया अपनी समस्या का निदान कराने के लिए. विभाग ने अपनी तरफ से हर तरफ से अपील की कि वह काम पर वापस आ जाएं. वहीं, करीब 19 दिन का उन्हें मौका दिया गया लेकिन उन्होंने विभाग की बात नहीं मानी और न ही विभाग से बात करना उचित समझा. ऐसे में विभाग को जो काम करना था, वह विभाग ने किया.
पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर हड़ताल पर बैठे विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों का कहना है कि विभाग का यह कहना गलता है कि अपनी 5 सूत्रीय मांगों और हड़ताल पर जाने की सूचना विभाग को नहीं दी गई थी. हड़ताल पर जाने से पहले भी विभाग को 6, 11, 14 अगस्त को इसकी सूचना दी गई थी. वहीं, अपर मुख्य सचिव को भी अपनी मांगों को लेकर अवगत कराया गया था. लेकिन उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आने के बाद 16 अगस्त से हड़ताल पर जाने का निर्णय किया गया. हालांकि, कई ऐसे भी संविदा कर्मी हैं, जो हड़ताल और विभाग के बीच फंसकर रह गए हैं. घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने से वे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि किधर जाएं. वहीं, इस आस में हैं कि विभाग की ओर से राहत भरी खबर जल्द आए.
बिहार में इन दिनों शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की भीड़ देखी जा रही है, जहां लोग भूमि सुधार को लेकर आवेदन के साथ शिविर में पहुंच रहे हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो भूमि सर्वे एवं राजस्व महा अभियान के अंतर को ही नहीं समझ पा रहे हैं. कई ऐसे भी लोग हैं, जिनका कागज सही होने के बावजूद वे राजस्व महा अभियान में शहर से गांव आ रहे हैं. वहीं, कई ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी जमीन की रसीद कटवाने के लिए भी शिविर में आ रहे हैं. कहीं-न-कहीं जमीन के मकड़जाल में लोग ऐसे फंसे हुए हैं कि उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है.
हालांकि, विभाग की ओर से यह लगातार बताया जा रहा है कि राजस्व महा अभियान भूमि सर्वे से अलग है. राजस्व महा अभियान के तहत लोग अपनी भूमि से जुड़ी त्रुटियों के सुधार को लेकर शिविर में आवेदन जमा कर सकते हैं, जबकि भूमि सर्वे पहले की तरह जो कार्य कर रहा था, उसी तरह से कर रहा है. वहीं, जिस तरह से बिहार में जमीनों का पेंच फंसा दिख रहा है और उस पेंच को सुलझाने में राजस्व भूमि सुधार विभाग लगा हुआ है, वहीं संविदा कर्मियों के हड़ताल पर जाने की वजह से काफी कार्यों में धीमापन दिखाई दे रहा है. इसका परिणाम यह रहा है कि विभाग की ओर से अन्य विभागों की मदद ली जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि जो आवेदन 20 सितंबर तक जमा हो जाएंगे, उन आवेदनों का निपटारा विभाग कितनी जल्दी और किस तरह से करेगा, यह देखने वाली बात होगी.
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