मखाना खेती की खासियत और महत्व बिहार के मिथिला क्षेत्र में सदियों पुरानी है, लेकिन पिछले एक दशक से इसे आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से उन्नत कर एक मखाना क्रांति की शुरुआत हुई है. पारंपरिक खेती से अब यह वैश्विक सुपर फूड के रूप में उभरा है, जो विदेशों तक निर्यात हो रहा है और बिहार को देश में मखाना उत्पादन का अग्रणी राज्य बना चुका है. इस मखाना क्रांति को और बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए मखाना अवयव योजना लॉन्च की है. इस योजना के तहत मखाना किसानों को क्षेत्र विस्तार, उन्नत बीज उत्पादन और टूल्स किट पर अनुदान मिलेगा. किसान 10 अक्टूबर तक बिहार कृषि ऐप या उद्यान निदेशालय की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
कुछ दिन पहले ही बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन (2025-27) के तहत मखाना उत्पादन बढ़ाने के लिए स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 जैसे उन्नत बीज उपलब्ध कराने का ऐलान किया था. इस योजना में किसानों को 75% यानी 72,750 रुपये प्रति हेक्टेयर तक अनुदान दो किस्तों में मिलेगा. खास बात यह कि इसमें 30% महिला किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है.
कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मुजफ्फरपुर – इन 16 जिलों के किसान योजना का लाभ उठा सकेंगे.
मखाना की खेती को लेकर किसानों को कई तरह के किट भी दिए जा रहे हैं. किसानों को पारंपरिक उपकरण जैसे औका/गांज, कारा, खैंची, चटाई, अफरा, थापी आदि उपलब्ध कराए जाएंगे. वहीं, प्रति किट की अनुमानित लागत 22,100 रुपये तय की गई है, जिसमें से 75 प्रतिशत यानी 16,575 रुपये प्रति किट का अनुदान दिया जाएगा.(रोहित कुमार सिंह का इनपुट)
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