बिहार सरकार अब मशरूम की खेती को वैकल्पिक खेती के रूप में बढ़ावा देने में जुट गई है. राज्य के कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यान निदेशालय ने वर्ष 2025-26 की नई योजना के तहत किसानों को मशरूम किट और झोपड़ी (मशरूम हट) निर्माण पर 50% से 90% तक अनुदान देने की घोषणा की है. इस योजना का सबसे खास पहलू यह है कि महिला किसानों को प्राथमिकता देकर उनकी 30% भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, जो महिला सशक्तिकरण और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में अहम कदम है.
मशरूम की खेती खासतौर पर सीमित भूमि और कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली तकनीक है. बिहार जैसे राज्य में, जहां भूमि और संसाधनों की कमी है, वहां यह खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन रही है. मशरूम फसल अन्य फसलों की तुलना में जल्दी तैयार होती है और इससे साल में कई फसल चक्र संभव हो पाते हैं.
मशरूम की खेती के लिए आवश्यक झोपड़ी या संरचना निर्माण पर 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसान कम लागत में अपने खेत या आंगन में मशरूम यूनिट लगा सकते हैं.
योजना का लाभ “पहले आओ, पहले पाओ” की नीति पर दिया जाएगा. इच्छुक किसान जल्द से जल्द आवेदन कर योजना का लाभ उठा सकते हैं.
इस योजना में महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है ताकि महिला किसानों की 30% भागीदारी सुनिश्चित की जा सके. यह न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करेगा बल्कि ग्रामीण परिवारों की आजीविका में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा.
मशरूम एक प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर, कम वसा वाला भोजन है. इसकी खेती में कृषि अवशेषों का उपयोग होता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन भी होता है और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.
बिहार सरकार की यह योजना न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगी. महिला किसानों की सक्रिय भागीदारी और वैकल्पिक खेती के रूप में मशरूम की संभावनाएं आने वाले समय में ग्रामीण विकास की नई तस्वीर पेश कर सकती हैं.
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