आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में रहने वाले किसान इन दिनों काफी परेशानी में हैं. टमाटर की खेती करने वाले ये किसान गिरती हुई कीमतों की वजह से बड़े आर्थिक संकट में घिर गए हैं. बाजार में जहां टमाटर की कीमतें 20 से 25 रुपये के बीच हैं तो किसानों के हिस्से प्रति किलो बस 4 से 5 रुपये भी मुश्किल से आ पा रहे हैं. ऐसे में किसानों का चिंतित होना लाजिमी है और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्या करें. वैसे सिर्फ कुरनूल ही नहीं आंध्र प्रदेश के हर जिले का यही हाल है और किसान टमाटर की गिरती हुई कीमतों से दुखी हो चुके हैं.
अखबार डेक्कन क्रोनिकल की रिपोर्ट के अनुसार कुरनूल के पथिकोंडा बाजार में 12 रुपये किलो वाला टमाटर सिर्फ 50 रुपये में बिका है जोकि औसतन 4 रुपये प्रति किलो है. यह दर अनुमानित कीमत से काफी कम है. पथिकोंडा बाजार में टमाटर के 2500 से 3000 डिब्बे आते हैं, लेकिन कीमतों में इतनी तेजी से गिरावट आई है कि हर कोई हैरान है. उदाहरण के लिए, 25 किलो के दो डिब्बे या क्रेट अब 250 रुपये से 300 रुपये के बीच में हैं. इस सीजन में टमाटर की खेती के लिए मशहूर इस क्षेत्र में तेजी से गिरावट आई है. कुरनूल जिले में यह 2,600 हेक्टेयर से घटकर 1,450 हेक्टेयर रह गया है. इसी तरह, नांदयाल जिले में पिछले साल 2,310 हेक्टेयर से घटकर इस साल 2,050 हेक्टेयर रह गया.
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टमाटर की खेती की लागत में काफी अंतर होता है. पारंपरिक तरीकों से टमाटर की खेती करने पर 40,000 से 50,000 रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है. जबकि ट्रेलिस सिस्टम का इस्तेमाल करने पर 80,000 से 1 लाख रुपये प्रति एकड़ तक का खर्च आता है. हर साल 4,000 से 6,000 हेक्टेयर (10,000 से 15,000 एकड़) में टमाटर की खेती की जाती है. इससे 23 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा टमाटर का उत्पादन होता है. इस क्षेत्र के प्रमुख थोक बाजारों में पथिकोंडा, असपारी, बिल्लेकल, देवनकोंडा, विरुपपुरम, पीपुली और डोन शामिल हैं.
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पथिकोंडा में आमतौर पर 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है. खरीद अधिकारियों की मानें तो इस तरह के किसी कमीशन की कोई जरूरत ही नहीं है. इसके अलावा व्हीकल कैपेसिटी के आधार पर 600 से 800 रुपये का सेस वसूला जाता है. टमाटर की आवक अगस्त के पहले हफ्ते में शुरू हुई थी. इसकी शुरुआती कीमत 10 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच थी. हालांकि, तब से ये कीमतें काफी कम हो गई हैं.
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पहले, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद और बाकी स्थानों से व्यापारी नीलामी के लिए आते थे. इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती थी और किसानों को बेहतर कीमतें मिलती थीं. अब, स्थानीय व्यवसायियों ने व्यापारियों पर कीमतों को कम करने और स्टॉक को बाकी बाजारों में री-डायरेक्ट करने के लिए एक सिंडिकेट बनाने का आरोप लगाया है. यहां उन्हें 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जाता है.
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पिछले अक्टूबर में पथिकोंडा में 12.05 करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए प्रशासन से मंजूरी दी गई थी. लेकिन अभी तक एपीएफपीएस की तरफ से फंडिंग वाले इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ही नहीं हुई है. तीन एकड़ में टमाटर की खेती में 1.25 लाख रुपये का निवेश करने वाले किसान के. रागप्पा को मौजूदा बाजार भावों के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना में तेजी लाने की अपील की है. उन्हें भरोसा है कि किसानों को इससे बहुत जरूरी राहत और स्थिरता मिलेगी.
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