प्याज भारत और लगभग हर भारतीय के भोजन की बड़ी जरूरत है. आज यह चीनी और दाल के साथ-साथ खाना पकाने के लिए आवश्यक चीजों में से एक बन गया है. मगर अब प्याज मीठी-मीठी बातें करने वाले नेताओं के लिए वह जरिया भी बन गया है जिससे वो अपने मतदाताओं को खुश कर सकते हैं. केंद्र सरकार की तरफ से प्याज और चीनी समेत कुछ और चीजों पर भी निर्यात प्रतिबंध लगाया तो दालों के ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति दी गई. इसके लिए कीमतों में कटौती तक की गई और इन्हीं नीतियों से किसान, जो एक बड़ा मतदाता वर्ग है, वो अब नाराज हैं.
किसानों का कहना है कि राजनेताओं के फैसलों से बाजार भर जाता है और दुकानदारों की असली बचत कीमत होती है. न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए प्याज के किसान कान्हा विष्णु गुलेवे ने कहा, 'सरकारें हमारे बारे में बहुत बातें करती हैं लेकिन उनके कामों से हमें ही नुकसान होता है.' उनका कहना था कि सरकार उनकी उपज को सस्ता रखकर आसानी से भड़कने वाले शहरी लोगों को खुश करने में लगी हुई है. 28 साल के गुलेवे महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले के प्याज उत्पादक क्षेत्र से आते हैं. नासिक देश भर में करीब 40 फीसदी प्याज का उत्पादन करता है. दिसंबर में अचानक निर्यात प्रतिबंध के बाद कीमतों में गिरावट आने पर वह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें-ऐसा क्या हुआ कि यूपी के गन्ना बेल्ट में आलू बोने लगे किसान? आगे चीनी उत्पादन का क्या होगा?
महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों के संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले की मानें तो प्याज के किसानों को अब चुनावों से डर लगता है. प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद कीमतें कभी-कभी एक तिहाई से भी कम हो गईं. इससे महाराष्ट्र में दर्जनों छोटे पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. साल 2017 के बाद से प्याज पर उत्पादन खर्च दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. दिघोले का कहना था कि थोक कीमतों में गिरावट का मतलब है कि इसका बोझ उपभोक्ता पर नहीं पड़ा है. उपभोक्ताओं ने प्याज के लिए उतना ही भुगतान किया जितना वे सालों से करते आ रहे थे.
यह भी पढ़ें-Water crisis: पानी की किल्लत से जूझते लोगों की जिंदगी कैसे कटेगी? अभी संभलना जरूरी
दिघोले की मानें तो सभी चुनाव किसानों के नाम पर लड़े जाते हैं और सरकार की नीति स्पष्ट तौर पर उपभोक्ताओं के लिए होती है. भारत में आम चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में शनिवार को मतदान होगा. भारत की आबादी की दो-तिहाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. यह देश की जीडीपी का करीब पांचवां हिस्सा है. भारत में प्याज सरकार की लोकप्रियता का बैरोमीटर हो सकता है. बेतहाशा कीमतों ने अतीत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए हैं और सरकारों को गिराया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today