भारी भरकम न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और एक्सपोर्ट ड्यूटी के बावजूद महाराष्ट्र में प्याज का दाम रिकॉर्ड बना रहा है. राज्य की कई मंडियों में इसका अधिकतम थोक भाव 5000 रुपये प्रति क्विंटल के पार चला गया है, न्यूनतम दाम भी 3000 से 4000 रुपये तक पहुंच गया है. चुनावी सीजन के बीच सरकार असमंजस में है कि वो किसानों की पीड़ा सुने या फिर महंगाई पर कंज्यूमर की परेशानी कम करे? दाम काबू करेगी तो किसान विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएंगे और दाम बढ़ता रहेगा तो उपभोक्ता नाराज होंगे. फिलहाल, इस बार पलड़ा किसानों का भारी दिख रहा है क्योंकि चुनाव महाराष्ट्र में भी है, जहां सबसे ज्यादा प्याज पैदा होता है. इसीलिए वो इतना थोक दाम होने के बावजूद चुप है. वरना पिछले साल इससे कम दाम पर ही वो प्याज एक्सपोर्ट बैन कर चुकी थी.
इस बार सरकार चाहकर भी एक्सपोर्ट बैन का फैसला नहीं ले पा रही है. क्योंकि विधानसभा चुनाव सिर पर है और एक्सपोर्ट बैन हुआ तो किसान बड़ा सियासी नुकसान करने को तैयार बैठे हैं. प्याज किसानों द्वारा लोकसभा चुनाव में दिए गए झटके से अभी महाराष्ट्र बीजेपी और राज्य की सत्ता में उसकी सहयोगी पार्टियां उबर नहीं पाई हैं. डिप्टी सीएम अजित पवार को प्याज के मुद्दे पर की गईं पुरानी गलतियों के लिए माफी मांगनी पड़ रही है. दूसरे डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मान चुके हैं कि प्याज एक्सपोर्ट बैन करना गलती थी.
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फिलहाल, कुल मिलाकर चुनावी सीजन में प्याज उत्पादक किसानों की बल्ले-बल्ले है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 26 अगस्त को राज्य की 49 मंडियों में प्याज की ट्रेडिंग हुई. जिसमें से सिर्फ 2 में ही अधिकतम दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम था. जबकि 30 मंडियों में 4000 रुपये या उससे अधिक दाम था. इससे किसान खुश हैं. क्योंकि पिछले तीन साल से वो सरकारी नीतियों की वजह से औने-पौने दाम पर प्याज बेचने के लिए मजबूर थे. अब चुनावी चक्कर में सरकार मजबूर है और वो पहले की तरह दाम घटाने पर कोई एक्शन नहीं कर पा रही है, किसान इस मौके का फायदा पहले हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उठा रहे हैं.
हिंगना, नागपुर | 3700 | 5000 | 4350 |
मंगलवेढा, सोलापुर | 2500 | 5000 | 4300 |
कामठी, नागपुर | 3500 | 4500 | 4000 |
नागपुर | 3500 | 4500 | 4250 |
अकोला | 2500 | 4500 | 3800 |
Source: MSAMB/26-08-2024 |
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक सूबा है. यहां देश का करीब 43 फीसदी प्याज पैदा होता है. कभी जिन मंडियों में कभी 50 हजार से 1 लाख क्विंटल तक प्याज रोजाना बिकने आता था, वहां पर आवक घटकर कुछ हजार क्विंटल ही रह गई है. मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 26 अगस्त को 49 में से सिर्फ पांच मंडियों में 10 हजार क्विंटल से अधिक प्याज बिकने आया. आवक कम होने की वजह से दाम में तेजी है.
मंडी का नाम | क्विंटल |
मुंबई-प्याज-आलू मार्केट | 13621 |
सोलापुर | 12475 |
कलवन, नासिक | 18350 |
नेवासा-घोड़ेगांव | 24865 |
पिंपलगांव बसवंत | 15300 |
Source: MSAMB/26-08-2024 |
दरअसल, बाजार में सरकारी हस्तक्षेप के कारण पिछले लगभग तीन साल से प्याज की खेती करके नुकसान झेलने वाले किसानों ने या तो इसकी खेती बंद कर दी थी या फिर कम कर दी. जिससे प्याज का उत्पादन कम हो गया है और अब बाजार में उसका असर दाम में वृद्धि के तौर पर दिखाई दे रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 से 2023-24 के बीच देश में प्याज की खेती का दायरा 4,04,000 हेक्टेयर कम हो गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. वर्ष 2021-22 में देश में 316.87 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था जो 2022-23 में घटकर महज 302.08 लाख टन रह गया. जबकि 2023-24 में यह और घटकर सिर्फ 242.12 लाख टन ही रह गया है. इस तरह पिछले दो साल में ही प्याज उत्पादन में 74.75 लाख टन की गिरावट आ गई. इसकी वजह से भी बाजार में तेजी बनी हुई है.
बहरहाल, केंद्र ने प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई हुई है. प्याज एक्सपोर्टरों का कहना है कि इन दोनों शर्तों की वजह से प्याज का र्प्याप्त एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है. चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 31 जुलाई, 2024 तक सिर्फ 2.60 लाख टन प्याज ही एक्सपोर्ट हो पाया है.
पाकिस्तान जैसा देश हमारे इंटरनेशनल बाजार पर कब्जा कर रहा है. ऐसे में एक्सपोर्टर और किसान मिलकर सरकार पर एक्सपोर्ट ड्यूटी कम करने का दबाव बनाए हुए हैं. महाराष्ट्र में यह राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. केंद्र ने 7 दिसंबर 2023 को प्याज एक्सपोर्ट बैन किया था, जिसे सियासी नुकसान को देखते हुए लोकसभा चुनाव के बीच 4 मई 2024 को दो शर्तों के साथ खोल दिया. अब सरकार विधानसभा चुनाव, प्याज के दाम, कंज्यूमर और किसानों के बीच उलझी हुई है.
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