जिस बात की आशंका पिछले कुछ दिनों से लगाई जा रही थी, उस पर अब मुहर लग गई है. केरल के तिरुवनंतपुरम में अगले कुछ दिनों लोकसभा चुनावों के दौरान सबकी नजरें टिकी होंगी. यहां पर एक हाई प्रोफाइल मुकाबला देखने को मिलने वाला है. शुक्रवार को कांग्रेस ने उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें 39 लोगों के नाम हैं. इनमें से एक नाम है शशि थरूर का जो तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़ेंगे और उनका मुकाबला होगा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजीव चंद्रशेखर से. यह वह हाई-वोल्टेज चुनावी मुकाबला होने वाला है जिस पर दोनों पार्टियों के अलावा सबकी नजरें रहेंगी.
केरल में अभी तक बीजेपी ने खाता नहीं खोला है और यहां से पार्टी का कोई सांसद नहीं है. ऐसे में वह काफी हद तक चंद्रशेखर पर निर्भर रहेगी ताकि उसे शुरुआती बढ़त हासिल हो सके. इस बीच, थरूर के लिए अपने घरेलू मैदान पर इन चुनावों में जीत हासिल करना बेहद जरूरी है. यह जीत ही चुनावी राजनीति में आगे बढ़ने के उनके रास्ते को आसान बना सकेगी. इस बार अपने चुनावी रण के बारे में शशि थरूर ने कहा, 'बीजेपी के लिए अपने पास मौजूद 303 को दोहराना भी बहुत मुश्किल होने वाला है. मुझे पूरा विश्वास है कि इस समय बीजेपी सरकार खोने जा रही है. हर चुनाव में ऐसा होता है. हमेशा से ही कोई न कोई पार्टी छोड़कर किसी और पार्टी में जाता रहा है. मुझे नहीं लगता कि बीजेपी भी इससे अछूती है.'
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वहीं तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने कहा, 'मैं बहुत उत्साहित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मुझे लोकसभा में चुनाव लड़ने का यह पहला अवसर मिला है. मैं पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में अपने उम्मीदवार के रूप में चुना है. यह एक ऐसा अभियान है जिसका मैं इंतजार कर रहा हूं और मैं इसे जल्द ही शुरू करूंगा. तिरुवनंतपुरम के लोग बहुत ताकतवर हैं और वो तय करेंगे कि उन्हें किसे विजेता के तौर पर देखना है.' थरूर के दावों को खारिज करते हुए चंद्रशेखर ने बीजेपी को निर्णायक जनादेश मिलने की बात कही है.
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थरूर ने इस बार लोकसभा चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बताया है. उन्होंने याद दिलाया था कि जब उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को हराया था, जो अब पार्टी के उम्मीवार हैं, वह उस समय सांसद थे. उन्होंने उस समय दोबारा चुनाव नहीं लड़ा था और अब 15 साल हो गए हैं. अब वह चुनावी मैदान में नहीं हैं. उनकी मानें तो इसलिए यह देखना होगा पन्नियन रवींद्रन कैसा प्रदर्शन करते हैं. हालांकि थरूर ने यह भी कहा कि बीजेपी पिछले दो लोकसभा चुनावों में दूसरे नंबर पर थी इसलिए उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता है. साल 2019 के चुनावों के दौरान, थरूर ने चार लाख से ज्यादा वोटों से मुकाबला जीता था. वहीं बीजेपी उम्मीदवार कुम्मनम राजशेखरन को करीब 3.16 लाख वोट मिले थे. विश्लेषकों का कहना है कि सबरीमाला महिलाओं के प्रवेश का मसला बीजेपी के पक्ष में नतीजों पर असर डालेगा.
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