प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रखी. इस अवसर पर उन्होंने राज्य के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का भी वर्चुअल उद्घाटन किया. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सी आर पाटिल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पीएम मोदी को क्रमशः बेतवा और केन नदियों के जल से भरे दो कलश सौंपे, जिन्हें उन्होंने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ करने के लिए परियोजना के एक मॉडल पर डाला.
इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के दस जिलों के करीब 44 लाख लोगों और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. इस पर 44,605 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना से 2,000 गांवों के करीब 7.18 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा. इससे 103 मेगावाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा होगी.
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, इस एक वर्ष में मध्य प्रदेश में विकास को नई गति मिली है. आज भी यहां हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की शुरुआत हुई है. आज ऐतिहासिक केन बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास भी हुआ है. ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट का भी लोकार्पण हुआ है और ये मध्य प्रदेश का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट है. मैं इन परियोजनाओं के लिए मध्य प्रदेश को ढेर सारी बधाई देता हूं.
PM Shri @narendramodi lays foundation stone of Ken-Betwa River Linking National Project in Khajuraho, Madhya Pradesh. #केन_बेतवा_लिंक_परियोजना https://t.co/Mobi7HJ8Wg
— BJP (@BJP4India) December 25, 2024
इस परियोजना को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, अतीत में कांग्रेस सरकारें, घोषणाएं करने में माहिर हुआ करती थीं. घोषणाएं करना, फीता काटना, दीया जलाना, अखबार में तस्वीर छपवा देना. उनका (कांग्रेस) काम वहीं पूरा हो जाता था और उसका फायदा लोगों को नहीं मिल पाता था. सुशासन का मलतब है कि अपने ही हक के लिए नागरिकों को सरकार के सामने हाथ न फैलाना पड़े, सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़े. यही तो शत प्रतिशत लाभार्थी को शत प्रतिशत लाभ से जोड़ने की हमारी नीति है.
प्रधानमंत्री ने कहा, दशकों तक, मध्य प्रदेश के किसानों, माताओं और बहनों ने बूंद बूंद पानी के लिए संघर्ष किया. क्योंकि कांग्रेस ने कभी जल संकट के स्थाई समाधान के लिए सोचा ही नहीं. जब देश में अटल जी की सरकार बनी, तब उन्होंने पानी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए गंभीरता से काम शुरू किया था. लेकिन 2004 में जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनी, कांग्रेस ने अटल जी के सभी प्रयासों को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सात दशक बाद भी देश के अनेक राज्यों के बीच पानी को लेकर कुछ न कुछ विवाद है. जब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, कांग्रेस का राज था, तब ये विवाद आसानी से सुलझ सकते थे. लेकिन कांग्रेस की नीयत खराब थी इसलिए उसने कभी भी ठोस प्रयास नहीं किए. बीता दशक, भारत के इतिहास में जल-सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कभी भी देश की जल संरक्षण की बढ़ती जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया और न ही कभी जल संरक्षणवादी के रूप में बाबा साहेब के प्रयासों को मान्यता दी. बाबा साहब अंबेडकर की दूरदर्शिता ने भारत के जल संसाधनों, जल प्रबंधन और बांध निर्माण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. अंबेडकर जी ने भारत में प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्तमान केंद्रीय जल आयोग के गठन के पीछे भी उनके प्रयास ही हैं.
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