गुरुवार को विकसित कृषि संकल्प अभियान का आखिरी दिन था. 15 दिनों तक चले इस अभियान के आखिरी दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह गुजरात में सूरत जिले के बारडोली में किसानों से मुखातिब हुए. उन्होंने यहां पर एक किसान सम्मेलन को भी संबोधित किया. इसमें कृषि विकास का संकल्प लिए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल, श्रम व रोजगार मंत्री कुंवरजी हलपति, सांसद प्रभुभाई वासवा, मुकेश कुमार चंद्रकांत दलाल, विधायकगण, जिला पंचायत के प्रमुख सहित और जनप्रतिनिधियों के साथ ही वैज्ञानिक और आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.
शिवराज सिंह ने कहा कि अभियान भले ही आज खत्म हो रहा है लेकिन किसानों से संपर्क और संवाद का क्रम लगातार जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की इस कर्मभूमि पर आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. आज ही के दिन, 12 जून 1928 को बारडोली सत्याग्रह के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने बैठक की थी. अंग्रेजों के, किसानों पर 22 प्रतिशत टैक्स की वृद्धि के विरोध में उन्होंने संघर्ष छेड़ा था. महिलाओं ने इस सत्याग्रह में बड़ी हिस्सेदारी निभाई थी और यही से सरदार वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि से नवाजा गया. लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कारण ही आज भारत एक है. 550 से ज्यादा देशी रियासतों का विलय करवाने में उनकी अतुलनीय भूमिका रही.
शिवराज सिंह ने कहा कि गुजरात अनेकों महापुरुषों की जन्मस्थली है. संत, ऋषि, महर्षि, क्रांतिकारी और देश-दुनिया को दिशा देने वाले महात्मा गांधी इसी भूमि की देन हैं. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश को गुजरात की ऐसी देन है. उनका कहना था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न, समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत का निर्माण हो रहा है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम मोदी के ‘लैब टू लैंड’ के विजन को आगे बढ़ाने के लिए ही विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की गई. उनका कहना था कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि का अर्थव्यवस्था में 18 प्रतिशत का योगदान है. आज भी आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है. इस अभियान के तहत 16 हजार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों का गठन किया गया. वैज्ञानिकों की टीमों ने गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद किया और उन तक रिसर्च की सही जानकारी पहुंचाई. क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों और खेत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किसानों को जानकारी दी गई. संतुलित उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की जानकारी दी. साथ ही, किसानों की समस्याओं को सुनकर भविष्य में आगे शोध की दिशा तय करने का कार्य भी किया गया.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि गुजरात में प्राकृतिक खेती के प्रयास शानदार है, किसान चमत्कार कर रहे हैं. साथ ही यहां खेती में तकनीक का इस्तेमाल भी बड़े स्तर पर किया जा रहा है जिससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है. धान, गेहूं, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन का उत्पादन होता है. अरंडी, जीरा, सौंफ, खजूर जैसे खास कृषि उत्पादों में गुजरात का पहले नंबर पर है.
कृषि मंत्री ने बताया कि देश में 77 प्रतिशत अरंडी, 44.5 प्रतिशत मूंगफली, 24 प्रतिशत कपास, 15 प्रतिशत चना उत्पादन गुजरातमें ही किया जा रहा है. फूड प्रोसेसिंग और वैल्यू एडीशन के जरिये से गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से तरक्की कर रहा है. कृषि मंत्री ने कहा कि गुजरात का किसान लगातार आगे बढ़ रहा है और देश को दिशा दिखाने का काम कर रहा है. गुजरात से कई उत्पादों का निर्यात होता है. सिर्फ इतना ही नहीं बागवानी के क्षेत्र में भी गुजरात उन्नत है.
शिवराज सिंह ने कहा कि कई किसानों ने उनसे प्राकृतिक खेती के संबंध में अनुभव साझा किए. किसानों से उन्हें यह सुनकर प्रसन्नता हुई कि प्राकृतिक खेती से लागत घटती है और उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता. साथ ही गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलते हैं. कृषि मंत्री ने यहां पर खेती को उन्नत बनाने के छह सूत्र भी बताए. ये सूत्र हैं – उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, किसानों को उत्पादन के ठीक दाम सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजा, कृषि विविधिकरण और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना.
शिवराज सिंह ने कहा कि आज भले की औपचारिक रूप से अभियान समाप्त हो रहा है, लेकिन यह अंत नहीं है. उन्होंने बताया कि ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ की भावना के साथ लगातार किसानों के साथ संपर्क और संवाद किया जाएगा. खेती में उन्नत किस्मों का प्रयोग, मशीनीकरण, प्रति बूंद-अधिक फसल, सिंचाई में पानी का बेहतर उपयोग, नए बीजों के प्रयोग जरूरी है, जिस दिशा में आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि इस साल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है। 18 लाख किसान इसके लिए तैयार भी हुए हैं. कृषि उन्नत हो और समृद्धि के साथ किसानों के चेहरे पर मुस्कान आए, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम दिन-रात प्रयास कर रहे हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने अभियान में उल्लेखनीय भागीदारी करने के लिए सभी किसानों और वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि लगभग 1 करोड़ 12 लाख किसानों से इस अभियान के तहत संवाद किया गया है, एक लाख से ज्यादा गांवों तक पहुंच सुनिश्चित हुई है. 55 हजार से ज्यादा जगह संवाद कार्यक्रम हुए. इस अभियान के दौरान ऐसे किसानों से भी मुलाकात हुई, जिन्होंने नए इनोवेशंस और योजनाओं का फायदा उठाकर अपनी आमदनी में 10 गुना तक का इजाफा किया है. ऐसे किसान वास्तव में वैज्ञानिक है, जिनसे मार्गदर्शन भी मिलेगा. देशव्यापी अभियान की शुरुआत 29 मई को ओडिशा से हुई थी. इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी विभिन्न राज्यों का दौरा कर किसानों से किसान चौपालों, सम्मेलन और पदयात्रियों के माध्यम से संवाद किया.
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