किसानों को फसल बीमा में मिला 563 करोड़ रुपये का लाभ, संसद में सरकार ने दी जानकारी

किसानों को फसल बीमा में मिला 563 करोड़ रुपये का लाभ, संसद में सरकार ने दी जानकारी

केंद्र सरकार ने सदन में बताया है कि फसल बीमा से आंध्र प्रदेश के कितने किसानों को फायदा हुआ है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से लोकसभा में इसकी जानकारी दी गई है. उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 3,49,633 किसानों को 563 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है.

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किसानों को फसल बीमा में मिला 563 करोड़ रुपये का लाभ, संसद में सरकार ने दी जानकारीसाल 2022 में आंध्र प्रदेश फिर से इस योजना में शामिल हुआ है

केंद्र सरकार ने सदन में बताया है कि फसल बीमा से आंध्र प्रदेश के कितने किसानों को फायदा हुआ है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से लोकसभा में इसकी जानकारी दी गई है. उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 3,49,633 किसानों को 563 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए आंध्र प्रदेश से इस योजना के तहत खुद को नॉमिनेट करने वाले किसानों की संख्या क्रमशः 1.23 करोड़ और 1.31 करोड़ थी. 

फिर से योजना में शामिल हुआ आंध्र प्रदेश 

मंत्री की तरफ से मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी एक सवाल के जवाब के तौर पर दी गई. विजयवाड़ा के सांसद केसिनेनी शिवनाथ (चिन्नी) की तरफ से फसल बीमा से जुड़ा एक सवाल पूछा गया था. ठाकुर ने कहा कि पीएमएफबीवाई राज्यों और किसानों के लिए स्वैच्छिक है. आंध्र प्रदेश सरकार ने खरीफ 2020 से इस योजना को लागू नहीं करने का फैसला किया था. भारत सरकार के ठोस प्रयासों और नई पहलों के कारण, आंध्र प्रदेश खरीफ 2022 सीजन से इस योजना में फिर से शामिल हो गया. 

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क्‍या हैं फसल बीमा योजना के नियम 

पीएमएफबीवाई के नियमों के तहत बीमा कराने वाले किसानों को सूखा, बाढ़ जैसी बड़ी आपदाओं के संबंध में दावा दायर करने की जरूरत नहीं होती है. यह योजना मुख्य तौर पर क्षेत्र गणना के आधार पर चलाई जाती है. किसान की तरफ से होने वाले बीमा के दावों का भुगतान सीधे उनके अकाउंट में कर दिया जाता है. कंपनियां राष्‍ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) पर डिजीक्‍लेम मॉड्यूल के जरिये ये बीमा कंपनियों की तरफ से दावों की गणना प्रति यूनिट क्षेत्र की फसल के आंकड़ों और संबधित सरकार की तरफ से उन्‍हें मुहैया कराए गए आंकड़ों के आधार पर करती हैं. 

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कैसे मिलता है फसल का बीमा 

हालांकि, ओलावृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, आग लगना और चक्रवाती या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसल के बाद होने वाले नुकसान के स्थानीय जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान की गणना व्यक्तिगत तौर पर खेत का कराए गए बीमा के आधार पर की जाती है. यहां, किसानों को नुकसान की घटना की सूचना बीमा कंपनी या फिर राज्य सरकार या फिर संबंधित वित्तीय संस्थान या पोर्टल या फिर ऐप को नुकसान के 72 घंटे के अंदर देनी होती है. इन दावों का मूल्यांकन राज्य सरकार और संबंधित बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों वाली एक ज्‍वॉइन्‍ट कमेटी की तरफ से किया जाता है. 

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इन आधार पर हो सकता है खारिज 

बीमा कम्पनियां कई आधारों पर इन दावों को खारिज भी कर सकती हैं. उदाहरण के तौर पर अगर किसानों की तरफ से देरी से सूचना मिलती है, बीमा न कराने वाले किसानों की सूचना, बीमा के अंदर न वाली फसलों की सूचना या फिर जमीन के टुकड़े की गलत जानकारी देने पर इसे रिजेक्‍ट किया जा सकता है. 

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