महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान किसानों की कर्जमाफी का वादा किया गया था, लेकिन अब चुनाव जीतने के बाद सरकार अपने वादे से पीछे हट गई है. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने साफ कर दिया है कि किसानों का कर्ज माफ करना संभव नहीं होगा. उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे 31 मार्च से पहले बैंक का बकाया चुका दें.
बारामती तालुका के मालेगांव सहकारी चीनी कारखाने द्वारा आयोजित किसानों की बैठक में अजित पवार ने कहा, "31 मार्च तक अपने फसल ऋण का भुगतान कर लें. चुनाव के दौरान कुछ लोगों ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि वे ऋण माफ करेंगे, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है."
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने 7 लाख 20 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, जिसमें 65 हजार करोड़ रुपये की बिजली माफी दी गई है. किसानों को बिजली बिल में छूट जरूर दी गई है, लेकिन इसका भुगतान सरकार को करना होगा. इसके अलावा, लड़की बहन योजना के लिए 45,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
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अजित पवार ने बताया कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और उनके ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. इसके अलावा, सड़क, पानी, बुनियादी ढांचे और स्कूलों के लिए भी करोड़ों रुपये चाहिए. इस वित्तीय स्थिति को देखते हुए किसानों का कर्जमाफ करना संभव नहीं है.
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हालांकि, सरकार ने किसानों को कुछ राहत दी है. अजित पवार ने बताया कि किसानों द्वारा लिए गए फसल ऋण की ब्याज राशि, जो 1,200 करोड़ रुपये है, वह बैंकों को हस्तांतरित कर दी गई है. इससे किसानों को ब्याज के बोझ से थोड़ी राहत मिलेगी.
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस साल और अगले साल लिए गए ऋण को समय पर चुकाना होगा. ऐसे में किसानों को जल्द से जल्द अपने कर्ज का भुगतान करने की योजना बनानी चाहिए ताकि वे किसी अतिरिक्त आर्थिक संकट में न फंसें.
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