महाराष्ट्र में बीजेपी के मंत्री ने अब दिया किसानों पर विवादित बयान महाराष्ट्र में किसान और उन पर बकाया कृषि ऋण पर विवादित बयानों का सिलसिला फिलहाल रुकता हुआ नजर नहीं आ रहा है. पूर्व कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे और डिप्टी सीएम अजित पवार के बाद अब बारी है भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सीनियर लीडर राधाकृष्ण विखे-पाटिल की,जिन्होंने किसानों और कर्ज माफी एक विवादित टिप्पणी की है. पाटिल जो राज्य के जल संसाधन मंत्री भी अब हैं, अपने इस बयान से विपक्ष के निशाने पर हैं. उन्होंने कहा कि किसान कर्ज लेते हैं, उसे माफ करवाते हैं और फिर दोबारा कर्ज में डूब जाते हैं. उनका कहना था कि यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है. इसी तरह के बयान पहले कोकाटे और फिर डिप्टी सीएम अजित पवार भी दे चुके हैं.
विखे-पाटिल ने किसानों पर तंज कसा और कहा, 'सोसायटी बनाना, कर्ज लेना, कर्ज माफ करवाना और कर्ज में डूब जाने के बाद फिर से कर्ज माफी की मांग करना, यह सिलसिला कई सालों से चला आ रहा है.' हालांकि बोलने के कुछ ही पल बाद उन्हें अहसास हुआ कि वह शायद कुछ गलत बोल गए हैं. उन्होंने आगे कहा, 'हमारी सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि कृषि कर्ज माफ किए जाएंगे और इसमें कोई समस्या नहीं है.'
किसान नेता और अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव डॉक्टर अजीत नवाले ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, 'चुनावों से पहले, नेता कर्जमाफी का वादा करके वोट मांगते हैं, लेकिन जब किसान संगठन इन वादों को पूरा करने की मांग करते हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है. यह सिलसिला जारी है.' नवाले का इशारा महायुति गठबंधन के उस ऐलान की तरफ था, जिसमें विधानसभा चुनावों से पहले किसानों के लिए कर्जमाफी का ऐलान किया गया था. लेकिन सत्ता में करीब एक साल पूरा करने के बाद भी इसकी घोषणा नहीं की गई है.
महायुति पर और निशाना साधते हुए, नवाले ने कहा, 'विखे पाटिल किसानों को दोषी ठहराते हैं. लेकिन सरकार किसानों के खिलाफ शोषणकारी नीतियां लागू करती है, आयात-निर्यात नीतियों में हेराफेरी करती है और महंगाई के नाम पर कीमतें कम करती है. किसानों की मदद करने के बजाय, सरकार की नीति फसल बीमा कंपनियों के मुनाफे को बढ़ाने की है जिससे किसान कर्जदार होते जा रहे हैं.'
आलोचना बढ़ती देख विखे पाटिल बचाव की मुद्रा में आ गए. उन्होंने कहा कि वह यह देखकर हैरान हैं कि उनके बयान को कितना 'तोड़-मरोड़' कर पेश किया गया है. उन्होंने कहा, 'ग्राम पंचायत और सहकारी समितियों के चुनावों के दौरान लोग अक्सर कर्ज लेते हैं लेकिन उससे कोई उत्पादकता नहीं आती.' उन्होंने आगे कहा कि मैंने इन चुनावों के संदर्भ में कहा था कि लोग कर्ज लेते हैं, फिर से कर्ज में डूब जाते हैं और फिर से कर्जमाफी की मांग करते हैं. यह पूरी तरह से चुनावी लड़ाई के लिए था. बीजेपी भी अब विखे पाटिल के डिफेंस में उतर आई है. राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि पाटिल के बयान की गलत व्याख्या की गई है.
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