भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आने वाले लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से मैदान में उतार सकती है. गुरुवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की मीटिंग के बाद शुक्रवार को जैसे ही खबरें आईं, सबकी नजरें इस लोकसभा संसदीय क्षेत्र पर गईं. विदिशा वह संसदीय क्षेत्र है जहां से बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दो बार चुनाव लड़ा और दोनों ही बार विजयी हुईं. वह हमेशा कहती थीं कि इस जगह से उनका एक खास नाता है और यहां आकर उन्हें घर जैसा लगता है. एक नजर डालिए विदिशा के बारे में जिसका इतिहास भी अपने आप में काफी रोचक है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से विदिशा करीब 62.5 किमी दूर है. इसका यह नाम एक नदी बैस पर पड़ा जिसका जिक्र कई पुराणों में हुआ है. इस जिले को सन् 1904 में विदिशा और बासौदा की तहसीलों को मिलाकर भिलसा जिले के रूप में बनाया गया था, जो उस समय ग्वालियर राज्य का हिस्सा थे. सन् 1947 में आजादी के बाद, ग्वालियर की पूर्व रियासत मध्य भारत राज्य का हिस्सा बन गई, जिसका गठन 1948 में हुआ था. सन् 1956 में इसका नाम बदलकर विदिशा कर दिया गया. साल 2018 में नीति आयोग द्वारा शुरू किए गए आकांक्षी जिला कार्यक्रम में विदिशा भी 112 आकांक्षी जिलों में से एक है.
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बेतवा और बेस नदियों के मोड़ पर स्थित विदिशा शहर सांची से सिर्फ नौ किमी दूर है. एक समय में इस शहर को बेसनगर कहा जाता था. यह सम्राट अशोक के राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और उनकी पत्नी देवी, जिन्हें वेदिसा-महादेवी भी कहा जाता था, के नाम पर इसका नाम विदिशा रखा गया था. यह शहर 5वीं और 6वीं शताब्दी के दौरान व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था. यहां पर अक्सर लोग कहते हैं कि विदिशा इतना प्रभावशाली स्थान था कि इसका उल्लेख महाकाव्य रामायण के साथ-साथ मेघदूत में भी मिलता है.
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विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य के 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह निर्वाचन क्षेत्र सन् 1967 में अस्तित्व में आया था. विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य के 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह निर्वाचन क्षेत्र सन् 1967 में अस्तित्व में आया था. सन् 2019 के अनुसार विदिशा में कुल मतदाता 1730026 हैं जबकि संसदीय सीट के मतदान केंद्रों की संख्या 2330 थी. पांच साल पहले हुए 2019 के संसदीय चुनाव में विदिशा संसदीय सीट पर वोटर टर्नआउट 71.6 फीसदी दर्ज किया गया था.
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने जीवन का अंतिम चुनाव भी यहीं से लड़ा और विजयी हुईं. सुषमा ने साल 2009 से 2019 तक दो बार लोकसभा में विदिशा का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन सीट से चुनाव लड़ने से पहले, वह साल 2008 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं थीं. साल 2009 में सुषमा स्वराज ने करीब 3.90 लाख वोटों के अंतर से कांग्रेस के प्रतिद्वंदी लक्ष्मण सिंह को मात दी थी वहीं साल 2014 में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया जब उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 4.10 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया था. इस समय बीजेपी के रमाकांत भार्गव यहां से सांसद हैं.
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