गुना लोकसभा सीट का इतिहास जानिए, क्‍या पांच साल बाद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया फिर से हासिल कर पाएंगे भरोसा 

गुना लोकसभा सीट का इतिहास जानिए, क्‍या पांच साल बाद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया फिर से हासिल कर पाएंगे भरोसा 

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से 195 उम्‍मीदवारों वाली वह पहली लिस्‍ट जारी कर दी गई जो अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों में मैदान में उतरेंगे. इस लिस्‍ट में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का नाम भी था. सिंधिया इस समय राज्‍यभा सांसद हैं और उनके पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय है. सिंधिया अपने पारिवारिक गढ़ गुना से मैदान में उतरेंगे.

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 गुना लोकसभा सीट का इतिहास जानिए, क्‍या पांच साल बाद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया फिर से हासिल कर पाएंगे भरोसा गुना और सिंधिया परिवार का काफी गहरा नाता रहा है

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से 195 उम्‍मीदवारों वाली वह पहली लिस्‍ट जारी कर दी गई जो अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों में मैदान में उतरेंगे. इस लिस्‍ट में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का नाम भी था. सिंधिया इस समय राज्‍यभा सांसद हैं और उनके पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय है. सिंधिया अपने पारिवारिक गढ़ गुना से मैदान में उतरेंगे. मध्‍य प्रदेश का गुना जिला कई मायनों में महत्‍वपूर्ण है. यह लोकसभा क्षेत्र सिंधिया परिवार के लिए काफी एतिहासिक है. ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को पूरी उम्‍मीद है कि वह एक बार फिर लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर संसद जरूर पहुंचेंगे. 

19वीं सदी में उभरा गुना 

गुना, मध्य प्रदेश के 52 जिलों में से एक है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 1,241,519 है.  19वीं सदी के मध्य में गुना तब प्रमुखता से उभरा जब यह ग्वालियर घुड़सवार रेजीमेंट के लिए एक अहम सैन्य स्टेशन बन गया. गुना के प्रमुख हिंदू देवता हनुमान हैं, जिनके मंदिर शहर के पूर्व और पश्चिम में स्थित हैं.  गुना और उसके आसपास जैन मंदिरों का भी कुछ महत्व है.  यह जिला मध्य प्रदेश के 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. साल 2019 में हुए चुनावों में कृष्ण पाल सिंह यादव को 6,14,049 वोट मिले. गुना लोकसभा क्षेत्र में कोलारस, मुंगावली, चंदेरी, गुना (एससी), अशोक नगर (एससी), पिछोर, बमोरी, शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 70.02 फीसदी मतदान हुआ है. इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 14 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. 

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सिंधिया परिवार के लिए खास 

ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कभी कांग्रेस के नेता थे, उन्‍हें राज्य के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भारी लोकप्रियता हासिल है. यहां उनके पिता और पूर्वजों ने युगों तक राजा के रूप में शासन किया था.  सिंधिया मराठों के शाही सिंधिया परिवार के अंतिम वंशज हैं. उन्होंने स्वतंत्रता-पूर्व मध्य-भारत के ग्वालियर राज्य पर शासन किया था. सिंधिया राजघराने के अन्य सदस्य भी राजनीति में हैं और महत्वपूर्ण पदों पर हैं.  सिंधिया की बुआ, वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनकी दूसरी बुआ यशोधरा राजे मध्‍य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री रह चुकी हैं. 

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2019 में मिली हार  

गुना ने ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की दादा राजमाता विजयाराजे को जीताकर जो सिलसिला शुरू किया था, उसमें पांच साल पहले बदलाव देखा गया. ज्योतिरादित्य साल 2019 में गुना सीट हार गए थे. गुना ने साल 2019 में अपनी ऐतिहासिक निष्ठा में बदलाव प्रदर्शित किया जब साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया.  इस हार का सिंधिया पर गहरा प्रभाव पड़ा, क्योंकि इससे गुना के लोगों का सिंधिया परिवार के प्रति लंबे समय से चला आ रहा समर्थन खत्म हो गया. गुना वह लोकसभा सीट है जिस पर पारंपरिक रूप से सन् 1957 से सिंधिया परिवार ही जीत रही है. इस बार चुनावों में गुना फिर से सिंधिया परिवार के साथ जाएगा और ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को लोकसभा तक पहुंचाएगा, इस बात की पूरा संभावना जताई जा रही है. 

 

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