गुजरात में किसानों ने लगाया सरकार पर बड़ा आरोप गुजरात सरकार ने हाल ही में बेमौसमी बारिश से फसलें खराब होने के बाद 10,000 करोड़ रुपये का कृषि राहत पैकेज घोषित किया है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि उसने नियमों को बदल दिया है. इसकी वजह से किसानों को मिलने वाली आर्थिक मदद भी कम हो गई है. किसान नेताओं का यह भी आरोप है कि गुजरात के किसानों को मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना के तहत मिलने वाले लाभों से वंचित कर दिया गया.
राज्य में करीब 42 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं. साथ ही 19,000 गांवों पर इसका असर पड़ा है. सारा बवाल जिस मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना को लेकर हो रहा है, उसके एक नियम में बदलाव का दावा किसानों की तरफ से किया जा रहा हे. किसानों की मानें तो साल 2020 में मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना में यह नियम था कि 60 फीसदी से ज्यादा फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये की मदद दी जाएगी और यह मदद अधिकतम 4 हेक्टेयर तक होगी.
योजना के क्लॉज 9(G) में नियम था कि किसानों को किसान सहाय योजना और SDRF दोनों के तहत पूरी मदद मिल सकती है. लेकिन सरकार की ताजा राहत व्यवस्था में प्रति हेक्टेयर दी जाने वाली राशि कम कर दी गई और अधिकतम पात्र भूमि सीमा घटाकर 2 हेक्टेयर कर दी गई. इससे किसानों को मिलने वाला कुल मुआवजा काफी घट गया है. वर्तमान में प्रभावित किसानों को इस पैकेज के तहत सिर्फ 44,000 रुपये मिल रहे हैं. जबकि मूल नियमों के अनुसार उन्हें अधिकतम 1.4 लाख रुपये तक मिल सकते थे.
किसान नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि नियमों में किए गए बदलाव सरकार के खर्च को बचाने के लिए किए गए हैं. इसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है. उनका कहना है कि कई किसान, खासकर छोटे और सीमांत किसान, बेमौसमी बारिश से भारी नुकसान झेलने के बावजूद पर्याप्त राहत से वंचित रह गए हैं.
उनका कहना है कि सरकार ने भले ही 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन उसके क्रियान्वयन और किसानों तक वास्तविक सहायता कम पहुंचने को लेकर उस पर सवाल उठ रहे हैं. किसान नेताओं ने मांग की है कि राज्य सरकार को मूल SDRF और किसान सहाय योजना के नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि किसानों को उचित मुआवजा मिल सके.
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