गुजरात में कोहराम: सौराष्ट्र में एक माह में पांच किसानों की आत्महत्या, बेमौसम बारिश और कर्ज बना बड़ा कारण

गुजरात में कोहराम: सौराष्ट्र में एक माह में पांच किसानों की आत्महत्या, बेमौसम बारिश और कर्ज बना बड़ा कारण

सौराष्ट्र में बेमौसम बारिश, कर्ज और फसल बर्बादी ने बढ़ाया किसानों का दर्द. एक महीने में पांच किसानों ने जिंदगी खत्म की, ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल.

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सौराष्ट्र में एक माह में पांच किसानों की आत्महत्या, बेमौसम बारिश और कर्ज बना बड़ा कारणगुजरात में किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े (सांकेतिक तस्वीर)

गुजरात में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला लगातार जारी है. जूनागढ़ के 42 वर्षीय किसान शैलेश देवजीभाई सावलिया केवल एक महीने में आत्महत्या करने वाले पांचवें किसान हैं. ऐसी दर्दनाक घटनाएं बताती हैं कि गुजरात का सौराष्ट्र कृषि क्षेत्र में निराशा की एक भयावह लहर से जूझ रहा है.

बेमौसम बारिश, बर्बाद फसलों और भारी कर्ज ने किसानों के सामने त्रासदी ला दी है, जिससे सरकारी राहत दावों के बावजूद किसानों की बेहद चुनौतीपूर्ण दशा के बारे में पता चलता है.

ग्रामीण इलाकों में संकट

सावलिया की आत्महत्या ने ग्रामीण इलाकों पर पहले से ही मंडरा रहे डर के फंदे को और मजबूत कर दिया है. यह एक भयावह याद दिलाता है कि कृषि संकट अब कोई दूर की बात नहीं, बल्कि एक लगातार, रोजमर्रा की सच्चाई है.

दो बच्चों के पिता सावलिया अपनी साढ़े दस बीघा जमीन पर गुजारा करते थे. उन्होंने मूंगफली, प्याज और अरहर की फसल बोई थी, इस उम्मीद में कि ऐसी फसल होगी जिससे उनका कर्ज चुकाया जा सके और उनके परिवार का एक और साल गुजर सके.

'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेमौसम बारिश के बाद, कर्ज में डूबे और अपने परिवार पर मंडरा रहे भुखमरी और अपमान से घबराए सावलिया अपने खेत में गए और जहर खा लिया. यह घटना ऐसी ही पीड़ा से जूझ रहे हजारों लोगों की खामोश चीखों की तरह थी.

फसल बर्बादी से निराशा

उनके भाई, प्रफुलभाई देवजीभाई सावलिया, इस त्रासदी के पीछे के दर्द के बारे में बात करते हुए रो पड़े.

उन्होंने कहा, "शैलेशभाई पूरी तरह टूट चुके थे. उन्होंने अपनी बहुत सी पीड़ा छिपाई, लेकिन हम देख रहे थे कि तनाव उन्हें हर दिन मार रहा था. वह खुद को घिरा हुआ और निराश महसूस कर रहे थे. इसी निराशा में, वह खेत में गए और जहर पी लिया... उन्हें लगा कि उनके आगे कोई रास्ता नहीं है."

विसावदर पुलिस मौके पर पहुंची और परिवार के बयानों के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

शुरुआती जांच से पता चला है कि फसल बर्बाद होने के कारण आर्थिक तंगी हुई है, और यह सिलसिला अब पूरे गुजरात में भयावह रूप से दोहराया जा रहा है.

शैलेशभाई की मौत ने पहले से ही खराब मौसम और बढ़ती देनदारियों से जूझ रहे किसानों में दहशत और बढ़ा दी है, जिससे बढ़ते कृषि संकट का सामना करने के लिए राज्य की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

सौराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी

सौराष्ट्र में चार किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से हर एक खुदकुशी बेमौसम बारिश, बर्बाद फसलों और न झेलने लायक कर्ज के घातक मेल के कारण हुई है.

1. राजकोट: 50 वर्षीय दिलीपभाई विरदिया (अरदोई गांव, कोटदासंगनी तालुका)

उन्होंने शनिवार देर रात अपने खेत में जहर खा लिया. उनके बेटे उत्सव ने कहा, "बेमौसम बारिश के बाद वह 15-20 दिनों तक तनाव में रहे. हमें लगभग 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ."

दिलीपभाई ने 28 बीघा जमीन पर जीरा, प्याज और मूंगफली की बुवाई के लिए कर्ज लिया था, जिसमें उधार ली गई जमीन और अपनी जमीन शामिल थी. पिछले साल अपनी बेटी की शादी के खर्चों ने उन्हें पहले ही मुश्किल में डाल दिया था. गांव के सरपंच नरशी गजेरा ने पुष्टि की, "बेमौसम बारिश ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया."

2. राजकोट: दानाभाई रामजीभाई जादव (रहमिया गांव, विंचिया तालुका)

दानाभाई ने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी. उनके परिवार ने बताया कि उन्होंने 14 बीघा जमीन पर मूंगफली और अरहर की खेती की थी, लेकिन खराब मॉनसून के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ. विंचिया पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मौत टूटे वादों और खराब मौसम के कारण हुई.

3. गिर सोमनाथ: गफर मूसा उनाद (रेवाड़ गांव, ऊना तालुका)

3 नवंबर को उन्होंने अपनी कमर में बिजली का तार बांधा और एक कुएं में कूद गए. बेमौसम बारिश के कारण उनकी नौ बीघा जमीन पर लगी मूंगफली की फसल सड़ गई थी. उन्होंने 2 लाख रुपये का कर्ज लिया था और दो बेटियों की शादी की जिम्मेदारी भी उन पर थी. एक रिश्तेदार ने कहा, "उन्हें आगे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था."

4. द्वारका: 37 वर्षीय करसनभाई वावनोतिया (भनवद तालुका)

उन्होंने सोने का कर्ज लेकर बीज खरीदे थे, और बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. परिवार के सदस्यों ने बताया कि फसल बर्बाद होने के बाद से ही वह 'मानसिक रूप से टूट' गए थे और कर्ज और निराशा दोनों का दंश झेलने में असमर्थ थे.

हालांकि राज्य ने हाल ही में 10,000 करोड़ रुपये के लोन राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन जमीनी रिपोर्ट एक बड़ा अंतर दिखाती हैं. कई किसानों को मुआवजा, फसल बीमा या वित्तीय मदद नहीं मिली है, जिससे उन्हें साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ रहा है और वे निराशा में डूब रहे हैं.

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