महाराष्‍ट्र पर 6 हजार करोड़ रुपये का 'बोझ' बन गई थी 1 रुपये में फसल बीमा योजना!

महाराष्‍ट्र पर 6 हजार करोड़ रुपये का 'बोझ' बन गई थी 1 रुपये में फसल बीमा योजना!

कि योजना की वजह से महाराष्‍ट्र सरकार पर 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त आर्थिक बोझ पड़ रहा था. इसके चलते सरकार को 1 रुपये में फसल बीमा योजना के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर वापस लौटना पड़ा. महाराष्‍ट्र सरकार ने साल 2023 में सिर्फ 1 रुपये में फसल बीमा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में संशोधन किया था.

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महाराष्‍ट्र पर 6 हजार करोड़ रुपये का 'बोझ' बन गई थी 1 रुपये में फसल बीमा योजना! महाराष्‍ट्र में सरकार ने बंद की महत्‍वाकांक्षी फसल बीमा योजना

महाराष्‍ट्र में फडणवीस सरकार ने साल 2023 में शुरू की गई एक रुपये में फसल बीमा योजना को बंद कर दिया है. इस फैसले को लेकर कई तरह की बातें हुईं. जो जानकारी अब सामने आ रही है, उसके अनुसार महाराष्‍ट्र सरकार ने आर्थिक बोझ के चलते इस बीमा योजना को बंद किया है. 1 रुपये की फसल बीमा योजना की जगह अब राज्‍य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को लागू कर दिया गया है. इस नए फैसले के तहत किसानों को फसल बीमा में प्रतिशत के आधार पर प्रीमियम अदा करना होगा. 

आवेदनों में हुआ भारी इजाफा 

बताया जा रहा है कि योजना की वजह से महाराष्‍ट्र सरकार पर 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त आर्थिक बोझ पड़ रहा था. इसके चलते सरकार को 1 रुपये में फसल बीमा योजना के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर वापस लौटना पड़ा. महाराष्‍ट्र सरकार ने साल 2023 में सिर्फ 1 रुपये में फसल बीमा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में संशोधन किया था. इसके बाद साल 2023 में आवेदन 104.5 करोड़ से 2023-24 में 242.54 करोड़ तक पहुंच गए और इनमें भारी इजाफा देखा गया था. 

राज्‍य सरकार पर बोझ  

आवेदनों में वृद्धि की वजह से बीमा कंपनियों को कुल 10,141.12 करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान किया गया. इसमें केंद्र सरकार ने 6,048.48 करोड़ रुपये और राज्य सरकार ने 4,090.21 करोड़ रुपये अदा किए. जबकि किसानों ने 2.43 करोड़ रुपये का भुगतान किया. यह पिछले प्रीमियम 4,691.51 करोड़ की तुलना में 6,000 करोड़ रुपये ज्‍यादा था. राज्य ने किसानों को प्राथमिकता देते हुए बीड पैटर्न (80:110) अपनाया. अगर नुकसान 110 प्रतिशत से ज्‍यादा होता है तो राज्य अतिरिक्त राशि को कवर करता है. अगर कंपनियां 80 फीसदी से कम भुगतान करती हैं तो वे सरकार को अंतर वापस कर देते हैं. इससे कंपनी का मुनाफा कम हो जाता है. 

अब PMFBY के तहत मिलेगा इंश्योरेंस 

बहुत ज्‍यादा बारिश के कारण 110 प्रतिशत से ज्‍यादा का नुकसान हुआ. इससे राज्य सरकार को बीड पैटर्न के तहत बीमा कंपनियों को अतिरिक्त 2,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा. इसलिए, एक रुपये की योजना की वजह से आ रहे वित्तीय तनाव के कारण इसे रद्द कर दिया गया. कृषि विभाग की उप सचिव प्रतिभा पाटिल के अनुसार मूल पीएमएफबीवाई को फिर से लागू किया जाएगा. साल 2025 खरीफ सीजन के लिए नए कार्यान्वयन मानदंडों को केंद्र सरकार के साथ चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा. 

(मुंबई से रित्विक भालेकर की रिपोर्ट)

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