व‍िधानसभा चुनाव में बीजेपी के ल‍िए बड़ी चुनौती बनेगा क‍िसान आंदोलन, नाराजगी ने बदल दी पूरी तस्वीर 

व‍िधानसभा चुनाव में बीजेपी के ल‍िए बड़ी चुनौती बनेगा क‍िसान आंदोलन, नाराजगी ने बदल दी पूरी तस्वीर 

Haryana Politics: क‍िसानों ने लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को उनकी गलत‍ियों की सजा दे दी है, लेक‍िन बीजेपी को चेतावनी देकर सुधरने का मौका दे द‍िया है. ऐसे में अगर क‍िसानों के मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो विधानसभा चुनाव में वो पार्टी के सामने बड़ी चुनौती पेश करेंगे. आख‍िर हर‍ियाणा सरकार से क्यों नाराज हैं क‍िसान?

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व‍िधानसभा चुनाव में बीजेपी के ल‍िए बड़ी चुनौती बनेगा क‍िसान आंदोलन, नाराजगी ने बदल दी पूरी तस्वीर क‍िसान आंदोलन को हल्के में लेने की चूक कर बैठी बीजेपी.

क‍िसानों ने अपने आंदोलन से सरकार और बीजेपी को ताकत द‍िखा दी है. हर‍ियाणा में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 10 में से पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. क‍िसानों के व‍िरोध की लहर में कांग्रेस ने पांच सीटों पर कब्जा कर ल‍िया है. लोकसभा चुनाव के नतीजों ने अब यहां विधानसभा चुनाव की भी स्क्रिप्ट ल‍िख दी है. उसकी तस्वीर अभी से साफ-साफ द‍िखाई देने लगी है. लोकसभा के र‍िजल्ट ने कांग्रेस को व‍िधानसभा चुनावों में सत्ता तक पहुंचने की संभावनाओं से भर द‍िया है. ऐसा कहने के पीछे एक वजह है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की 90 में से 46 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी से आगे रही है, जबक‍ि बीजेपी स‍िर्फ 44 पर ही आगे रही है. 

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले अब बीजेपी का ग्राफ काफी ग‍िर चुका है, क्योंक‍ि तब बीजेपी ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर व‍िजय पताका लहराया था. तब 79 विधानसभा क्षेत्रों में वो कांग्रेस व अन्य पार्ट‍ियों से आगे रही थी. वर‍िष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा कहते हैं, "हर‍ियाणा में पार्टी की इस दुर्गत‍ि के पीछे राज्य में पार्टी के बड़े नेताओं की मनमानी और क‍िसान आंदोलन को मुख्य वजह कहा जा सकता है." उधर, अब क‍िसानों का कहना है क‍ि अगर बीजेपी की अगुवाई वाली नई सरकार एमएसपी की गारंटी और अन्य मांगों को नहीं मानेगी तो यह आंदोलन और तेज क‍िया जाएगा. इससे व‍िधानसभा चुनावों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो सकता है. 

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क्यों न‍िशाने पर है हर‍ियाणा सरकार? 

लोकसभा चुनाव हरियाणा के ल‍िए काफी दिलचस्प रहे हैं. क‍िसान आंदोलन पार्ट-1 और पार्ट-2 दोनों को भड़काने में हर‍ियाणा सरकार की महत्वपूर्ण भूम‍िका मानी जाती है. क्योंक‍ि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने के ल‍िए द‍िल्ली कूच करने वाले पंजाब के क‍िसानों को दोनों बार हर‍ियाणा में ही रोका गया. उनसे प्यार से बातचीत करने की बजाय उनके रास्तों में कील-कांटे लगाए गए. लाठी चार्ज क‍िया गया और आंसू गैस के गोले छोड़े गए.

इसल‍िए हर‍ियाणा सरकार हमेशा आंदोलनकारी क‍िसानों के न‍िशाने पर रही है और आगे भी रहेगी. क‍िसानों का कहना है क‍ि अगर सरकार का रवैया नहीं सुधरा तो बीजेपी का लोकसभा चुनावों से ज्यादा व‍िरोध च‍िधानसभा चुनावों में होगा. यहां इस साल अक्टूबर में व‍िधानसभा चुनाव होने हैं.

दुष्यंत के ख‍िलाफ नाराजगी की वजह?

लोकसभा चुनाव के इन पर‍िणामों से ही विधानसभा चुनाव के भी सियासी तापमान का आकलन लगाया जा रहा है. कांग्रेस नेता भूपेंद्र स‍िंह हुड्डा के हौसले बुलंद हैं. बीजेपी 2019 के व‍िधानसभा चुनाव में स‍िर्फ 40 सीटों पर स‍िमटकर बहुमत से दूर रह गई थी. तब उसे 46 के जादुई आंकड़े के ल‍िए जेजेपी की बैसाखी लेनी पड़ी थी, ज‍िसने चुनावों में बीजेपी के ख‍िलाफ ही लड़कर 10 सीटें हास‍िल की थीं. बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला को ड‍िप्टी सीएम की कुर्सी के साथ कुछ मलाईदार व‍िभागों को देकर अपनी कुर्सी बचा ली थी. 

दरअसल, दुष्यंत चौटाला के ख‍िलाफ जाटों में तभी से नाराजगी पनप गई थी. क्योंक‍ि दुष्यंत की जन नायक जनता पार्टी को वोट एंटी बीजेपी म‍िले थे. जब दोनों क‍िसान आंदोलनों के दौरान ड‍िप्टी सीएम रहते हुए भी दुष्यंत चुप रहे और उनके प‍िता अजय स‍िंह चौटाला आंदोलनकार‍ियों के ख‍िलाफ गलत बयानी करने लगे तो हालात ऐसे हो गए जैसे क‍ि आग में जैसे घी पड़ गया हो. अब मौका पाते ही क‍िसानों ने लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला सूद सह‍ित बदला ले ल‍िया. आज दुष्यंत चौटाला की पार्टी का कहीं अता-पता नहीं है. क‍िसानों ने साफ कर द‍िया क‍ि दुष्यंत चौटाला के कृत्यों के ल‍िए उन्हें कभी माफ नहीं क‍िया जाएगा. 

ताऊ देवीलाल के पर‍िवार को झटका  

क‍िसानों के गुस्से ने पूर्व ड‍िप्टी पीएम ताऊ देवीलाल के पर‍िवार के सभी नेताओं को घर बैठा द‍िया है. इस पर‍िवार के चार सदस्य लोकसभा चुनाव के मैदान में थे. लेक‍िन सभी को हार का मुंह देखना पड़ा. पहली बार चौधरी देवीलाल के पर‍िवार का एक भी सदस्य क‍िसी भी सदन का सदस्य नहीं होगा. इसमें महत्वपूर्ण भूम‍िका क‍िसानों की मानी जा रही है.

खासतौर पर क‍िसान जेजेपी नेता अजय स‍िंह चौटाला, दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला और द‍िग्व‍िजय चौटाला का व‍िरोध कर रहे थे. क्योंक‍ि दुष्यंत चौटाला के ड‍िप्टी सीएम रहते क‍िसानों पर गोली चलाई गई. लाठी चार्ज हुआ और आंसू गैस के गोले छोड़े गए. यह क‍िसानों के ख‍िलाफ काम करने वाले और बोलने वाले नेताओं के ल‍िए बड़ा सबक है.

बीजेपी को सबक लेने का वक्त 

वर‍िष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा कहते हैं क‍ि बीजेपी ने प‍िछले लोकसभा चुनावों में हर‍ियाणा की सभी 10 सीटें हास‍िल कर ली थीं. ले‍क‍िन इस बार उसे पांच सीटों से हाथ धोना पड़ा. इसी से समझा जा सकता है क‍ि व‍िधानसभा चुनाव में तस्वीर कैसे हो सकती है. इसल‍िए अब कांग्रेस व‍िधानसभा चुनावों में ज्यादा आक्रामक तरीके से बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के ल‍िए काम करेगी.

ऐसे में अगर क‍िसानों की समस्याओं का समाधान नहीं क‍िया गया तो हर‍ियाणा के बीजेपी नेताओं के ल‍िए बहुत भारी पड़ेगा. यह हर‍ियाणा बीजेपी के ल‍िए र‍िथ‍िंक‍िंग का अच्छा समय है. हर‍ियाणा का कल्चर ही एग्रीकल्चर है, ऐसे में क‍िसानों को नाराज करके कोई भी पार्टी यहां ज्यादा द‍िन नहीं ट‍िक सकती. 

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