यूपी में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच रुकेगा टकराव, जल्‍द शुरू होंगे 4 हाईटेक रेस्‍क्‍यू सेंटर

यूपी में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच रुकेगा टकराव, जल्‍द शुरू होंगे 4 हाईटेक रेस्‍क्‍यू सेंटर

UP Hightech Animal Rescue Centres: उत्तर प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार मेरठ, पीलीभीत, महाराजगंज और चित्रकूट में चार आधुनिक रेस्क्यू सेंटर बना रही है. इन केंद्रों का उद्देश्य बाघ, तेंदुए और सियार जैसे जानवरों को सुरक्षित पकड़कर पुनर्वास देना है, जिससे लोगों और जानवरों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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यूपी में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच रुकेगा टकराव, जल्‍द शुरू होंगे 4 हाईटेक रेस्‍क्‍यू सेंटरजंगली जानवरों के लिए बनाए गए 4 हाईटेक रेस्‍क्‍यू सेंटर (सांकेत‍िक तस्‍वीर)

देशभर में वनकटाव के चलते जंगली जानवर अब मानव बस्तियों में भोजन की तलाश में घुसने लगे हैं. कई राज्‍यों में आए दिन मानव और जंगली जानवरों में टकराव की स्थित‍ियां बनती है. कई बार जंगली जानवर इंसान को निवाला बना लेते हैं तो वहीं कई बार लोगों की भीड़ जंगली और संरक्षि‍त जानवरों की जान ले लेती है. उत्‍तर प्रदेश में भी इस तरह के मामले सामने आते हैं, लेकिन राज्‍य सरकार ने इन हालातों को बदलने के क्रम में बड़ी तैयारी कर ली है.

लोगों में जानवरों का खौफ होगा खत्‍म

उत्तर प्रदेश वन और वन्यजीव विभाग ने मंगलवार को कहा कि सरकार लोगों और बाघ, तेंदुए और सियार सहित बड़े मांसाहारी जानवरों के बीच बढ़ती मुठभेड़ों से निपटने के लिए मेरठ, पीलीभीत, महाराजगंज और चित्रकूट में चार आधुनिक रेस्‍क्‍यू सेंटर बना रही है. विभाग ने बयान में कहा है कि ये केंद्र रणनीतिक रूप से बनाए जा रहें हैं, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई, अवध और बुंदेलखंड के क्षेत्रों को कवर करते हैं, ताकि इन क्षेत्राें में  मानव बस्तियों में भटकने वाले जंगली जानवरों को सुरक्षित रखा जा सके. इस पहल का उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा और वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित करना है.

प्रोजेक्‍ट पर खर्च होंगे 57 करोड़ रुपये

मुख्य वन संरक्षक अनुराधा वेमुरी ने कहा कि बचाव केंद्र (रेस्‍क्‍यू सेंटर) हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य (मेरठ), पीलीभीत टाइगर रिजर्व, सोहागीबरवा वन्यजीव अभयारण्य (महाराजगंज) और रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य (चित्रकूट) में बनाए जा रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए 57.20 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इसके एग्‍जीक्‍यूशन का काम निर्माण और डिजाइन सेवा (सीएनडीएस) को सौंपा गया है. प्रोजेक्‍ट का  ज्‍यादातर निर्माण कार्य अब पूरा हो चुका है और स्टाफिंग और उपकरणों की व्यवस्था को अंतिम रूप दिए जाने के बाद जल्द ही यह शुरू हो जाएगा.

इन सुविधाओं से लेस होंगे सेंटर 

वेमुरी ने कहा कि ये बचाव केंद्र आधुनिक सुविधाओं से लेस हैं, जिनमें ट्रीटमेंट यून‍िट, क्‍वारंटाइन जोन, निगरानी टॉवर, आवास ब्लॉक और प्रशिक्षण हॉल शामिल हैं. इन्हें पकड़े गए जंगली जानवरों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया, देखभाल और पुनर्वास प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा प्रतिक्रिया के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के कारण राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) द्वारा जनशक्ति और सहायता प्रदान की जाएगी. 

अनुराधा वेमुरी ने कहा कि ये बचाव केंद्र खतरनाक मानव-वन्यजीव मुठभेड़ों को कम करने और इंसानों और वन्यजीवों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होंगे.

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