झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का लोड कम करने के लिए रिम्स 2 का निर्माण होना है, लेकिन जिस जमीन पर इसका निर्माण होना है उसको लेकर जबरदस्त विवाद है. आदिवासी रैयत विरोध कर रहे हैं और उनके समर्थन में भारतीय जनता पार्टी (BJP) तो खुलकर आ गई है. अब सत्ताधारी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की भी रैयत के समर्थन में ही उतर आए हैं.
रिम्स पार्ट 2 का निर्माण कांके में नगड़ी प्रखंड में होना है. ग्रामीणों का आरोप है कि ये निर्माण बगैर उन्हें विश्वास में लिए सरकार करवाना चाहती है जबकि 2012 में ही हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार रैयतों से बात करे और संवाद स्थापित करे.
रैयतों का आरोप है कि आदिवासियों के पास सिर्फ जमीन ही उनकी पहचान होती है. इस जमीन पर खेती करके वो इतनी उपज पैदा करते हैं कि उनके जीवन का गुजर बसर आसानी से होता है और परिवार का यही सहारा है. ऐसे में बगैर किसी नोटिस के या बगैर मुआवजे के जमीन की जबरदस्ती घेराबंदी उचित नहीं है और उनके हक को छीने जाने की साजिश है.
इस मुद्दे पर ग्रामीण यानी ट्राइबल रैयत राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास से मिलने पहुंचे और उन्होंने एक मेमोरेंडम भी उन्हें सौंपा. रघुवर दास ने भी आजतक से बताया कि बगैर किसी संवाद के अगर कोई निर्माण होगा तो वहां विवाद होना लाजमी है. विरोध अस्पताल का नहीं बल्कि सरकार की नीति का है. तानाशाही से कोई प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया जा सकता है. इसी इलाके में 2012 में जब नेशनल लॉ कॉलेज और रिंग रोड का निर्माण शुरू हुआ था तो जेएमएम ने भी जमकर विरोध किया था. अब वहीं जेएमएम आदिवासियों के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है.
इधर बीजेपी के बाद ट्राइबल के मुद्दे की राजनीति के लिए जाने जाने वाले कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बंधु तिर्की भी रैयतों के समर्थन मे उतर आए हैं. उनका कहना है कि कृषि योग्य जमीन का अधिग्रहण किसी प्रोजेक्ट के लिए किए जाने का कोई मतलब नहीं है. यहां का आदिवासी रैयत इसी पर निर्भर है.
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का साफ कहना है कि रिम्स पार्ट 2 का निर्माण होकर रहेगा. ये सीएम हेमंत सोरेन का ड्रीम प्रोजेक्ट है. बीजेपी सिर्फ इस मुद्दे पर रैयतों को उकसा कर जनविरोधी काम कर रही है. आखिर रिम्स टू का निर्माण हुआ तो किसे फायदा होगा. क्या आम लोग और यहां के आदिवासी इससे लाभान्वित नहीं होंगे. ये जमीन का अधिग्रहण किसी फाइव स्टार होटल या बीजेपी के कार्यालय के लिए नहीं किया गया है. यहां नेक इरादे से अस्पताल का निर्माण होगा.
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने 110 एकड़ में 1074 करोड़ की लागत से रिम्स-2 बनाने का फैसला लिया है. यहां मरीजों के लिए 700 बेड की सुविधा होगी. साथ ही यूजी की 100 और पीजी की 50 सीटों के लिए पढ़ाई होगी. स्वास्थ्य मंत्री की दलील थी कि रिम्स का भवन बहुत पुराना हो चुका है. इसलिए फेज-2 का निर्माण करना बेहद जरूरी है. हालांकि 202 एकड़ रैयती जमीन के घेराबंदी का आरोप ग्रामीणों ने लगाया है.
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