भारत में किसानों की स्थिति सुधारने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं की जमीनी हकीकत को समझने के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. यह रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के प्रसार उप-महानिदेशक डॉ. राजवीर सिंह द्वारा 'लैब टू लैंड' कार्यक्रम के तहत चलाए गए 'संकल्प अभियान' का परिणाम है, जो 29 मई से 12 जून तक चला. इस अभियान के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने सीधे खेतों में जाकर किसानों की समस्याओं को समझा और विभिन्न सरकारी योजनाओं पर उनकी राय जानी.
डॉ. राजवीर सिंह ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि किसानों के साथ संवाद के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना देश में किसानों के लिए सबसे अधिक लाभकारी सिद्ध हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक किसान (81.6%) इस योजना से लाभान्वित हुए हैं. यह दर्शाता है कि प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता किसानों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने और उन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने में अत्यंत प्रभावी रही है. PM-Kisan की सफलता यह भी बताती है कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रणाली किसानों तक सीधे और कुशलतापूर्वक पहुंचने का एक बेहतरीन तरीका है. यह योजना किसानों को बीज, खाद खरीदने या छोटे-मोटे खर्चों का प्रबंधन करने में महत्वपूर्ण मदद देती है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है. इसकी सफलता अन्य योजनाओं के लिए एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करती है कि कैसे सरल और सीधी प्रक्रियाएं अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंच सकती हैं.
PM-Kisan की शानदार सफलता के विपरीत, 'संकल्प अभियान' के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि कृषि मंत्रालय की कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं अभी भी किसानों के बड़े वर्ग तक नहीं पहुंच पा रही हैं. इन योजनाओं से लाभान्वित किसानों का प्रतिशत 50% से भी कम है, जो इनके क्रियान्वयन और लक्ष्य समूह तक पहुंचने में मौजूद चुनौतियों को उजागर करता है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को अपनी मिट्टी की स्थिति जानने और सही पोषक तत्वों का उपयोग करने में मदद करता है. लगभग 30% किसानों तक इसकी पहुंच बताती है कि मिट्टी के स्वास्थ्य के महत्व और कार्ड के उपयोग के बारे में अभी भी बड़े पैमाने पर जागरूकता की कमी है.
यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को वित्तीय सुरक्षा देती है. लगभग एक-चौथाई किसानों को ही इसका लाभ मिल पाना गंभीर चिंता का विषय है. फसल बीमा की जटिल दावा प्रक्रियाएं और किसानों में जागरुकता की कमी इसकी कम पहुंच के मुख्य कारण हो सकते हैं.
सिंचाई कृषि उत्पादकता के लिए जीवनरेखा है. PMKSY से केवल 12.8% किसानों का लाभान्वित होना यह दर्शाता है कि देश में अभी भी सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाने की दिशा में बहुत काम करना बाकी है.
जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाली ये योजनाएं पर्यावरण संरक्षण और सतत कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, इनसे केवल 10.2% किसानों का जुड़ना दर्शाता है कि रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर संक्रमण में किसानों को अभी भी प्रोत्साहन, प्रशिक्षण और समर्थन की आवश्यकता है.
कृषि में मशीनीकरण श्रम की कमी को दूर करने और दक्षता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. SMAM से केवल 8.7% किसानों का लाभान्वित होना यह इंगित करता है कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि मशीनरी को सुलभ और किफायती बनाने में अभी भी बड़े पैमाने पर चुनौतियां हैं.
तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में प्रतीत होती है, जिससे केवल 4.7% किसानों को लाभ मिल रहा है. बेहतर बीज, तकनीक और बाजार लिंकेज की कमी इसकी धीमी प्रगति के कारण हो सकते हैं.
कृषि अवसंरचना के विकास के लिए यह एक महत्वपूर्ण योजना है. हालांकि, केवल 3.0% किसानों का इससे लाभान्वित होना यह दर्शाता है कि इस फंड तक किसानों की पहुंच को सरल बनाने और उन्हें इसके बारे में जागरूक करने की तत्काल आवश्यकता है.
उपरोक्त आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि PM-Kisan जैसी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजनाएं किसानों तक पहुंचने में अत्यधिक प्रभावी हैं. हालांकि, अन्य योजनाओं की कम पहुंच कई मूलभूत सवालों को जन्म देती है, जैसे कि जागरूकता का अभाव, सरल पहुंच की कमी, वितरण में खामियां, और छोटे और सीमांत किसानों की सीमित भागीदारी.
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार को चाहिए कि वह अन्य कृषि योजनाओं के बारे में किसानों में जागरूकता बढ़ाए. साथ ही, योजनाओं की प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जाए ताकि हर किसान आसानी से उनका लाभ उठा सके. यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सभी योजनाएं छोटे और सीमांत किसानों तक भी प्रभावी ढंग से पहुंचें, जो भारतीय कृषि का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. तभी भारत में कृषि क्षेत्र का सही मायने में विकास हो पाएगा और किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो सकेगा.
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