हरियाणा सरकार शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को वहां से हटवाने की कोशिश में जुट गई है. इसके लिए उसने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है. सरकार ने रास्ता बंद होने से आम लोगों और विशेष कर व्यापारियों को होने वाली परेशानी का मुद्दा उठाया है, किसानों को क्या परेशानी है इस पर उसने कोई बातचीत नहीं की है. लगता है कि उसे किसानों को सरकारी नीतियों से हो रहे नुकसान से नहीं बल्कि व्यापारियों को आंदोलन से होने वाले नुकसान को लेकर ज्यादा दर्द है. इसलिए वो अब इन्हें बॉर्डर से हटवाने के लिए दिल्ली दरबार में पहुंच गई. दरअसल, एमएसपी की लीगल गारंटी सहित अन्य 11 मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर 140 दिन से किसानों का आंदोलन चल रहा है. शंभू बॉर्डर पटियाला जिले (पंजाब) और अंबाला (हरियाणा) के बीच है. किसान पटियाला जिले में बैठे हुए हैं.
हरियाणा के परिवहन मंत्री असीम गोयल ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. उन्होंने अंबाला जिले के बॉर्डर पर शंभू में धरने पर बैठे किसानों को समझा कर बॉर्डर को खुलवाने की मांग की. गोयल ने कहा कि अंबाला जिले के बॉर्डर पर स्थित गांव शंभू के पास किसानों ने करीब साढ़े पांच माह पूर्व अपना आंदोलन शुरू करके बॉर्डर पर आवाजाही बंद कर दी थी. तब से लेकर अब तक यह बॉर्डर बंद है.
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गोयल ने कहा कि बॉर्डर बंद होने से आम लोगों और विशेष कर व्यापारियों को अपना व्यवसाय करने में परशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इन आंदोलनरत किसानों से बातचीत करके इनको बॉर्डर का रास्ता खुलवाने के लिए मनाना चाहिए. इससे जहां आस पास के लोगों को राहत मिलेगी, वहीं व्यापारियों को भी अपने कामकाज में आसानी होगी. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरियाणा के परिवहन मंत्री को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और जल्द ही कार्रवाई करेगी.
अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने के लिए किसान दिल्ली आ रहे थे और तब हरियाणा सरकार ने उन्हें अपनी सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया. बॉर्डर सील कर दिया और किसानों पर आंसू गैस के अनगिनत गोले दागे. उसके बाद किसानों ने संघर्ष का रास्ता छोड़कर शंभू बॉर्डर पर ही बैठ जाने का फैसला लिया. अब हरियाणा सरकार शंभू बॉर्डर बंद रहने के लिए खुद का दोष देने की बजाय आंदोलनकारी किसानों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है.
असल में बॉर्डर हरियाणा सरकार ने ही बंद किया हुआ है, जिससे आम आदमी, किसानों और व्यापारियों सबको नुकसान हो रहा है. अगर आज भी हरियाणा सरकार बॉर्डर खोल दे तो किसान शंभू बॉर्डर खाली करके दिल्ली की ओर बढ़ जाएंगे. लेकिन हरियाणा सरकार है कि किसानों के रास्ते का रोड़ा बनी हुई है.
संयुक्त किसान मोर्चा-अराजनैतिक के नेतृत्व में किसान आंदोलन पार्ट-2 जब शुरू हुआ तब हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर सीएम थे. उनकी सरकार ने प्यार से बातचीत करने की बजाय डंडों और हथियारों के जरिए किसानों को डराने की कोशिश की. पूरी ताकत लगाकर किसानों को दिल्ली जाने से रोक दिया. किसान संघर्ष नहीं चाहते थे, इसलिए वो पटियाला जिले के शंभू बॉर्डर पर बैठ गए. हरियाणा सरकार इस गफलत में थी ये लोग कुछ दिनों में ही अपने घरों को चले जाएंगे. लेकिन, ऐसा सोचना सरकार की भूल थी. किसान न सिर्फ वहां 140 दिन से दिल्ली जाने के इंतजार में बैठे हुए हैं बल्कि उन्होंने सत्ताधारी बीजेपी को बड़ा सियासी नुकसान भी पहुंचा दिया है.
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं. यहां पर बीजेपी को किसानों के मुद्दे पर ही पांच सीटें गंवानी पड़ी हैं. राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 46 पर कांग्रेस आगे रही है. यही नहीं किसानों को धोखा देने के चक्कर में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी का पूरे राज्य से सफाया हो चुका है. किसी एक भी सीट पर दुष्यंत चौटाला की पार्टी आगे नहीं रही है. इसके बाद भी हरियाणा सरकार का रवैया का रवैया नहीं बदला है. जबकि नवंबर में यहां विधानसभा के चुनाव हैं. राज्य सरकार के मंत्री असीम गोयल केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर शंभू बॉर्डर बंद होने से व्यापारियों के नुकसान का रोना रो रहे हैं. उल्हें किसानों का दर्द नहीं दिखाई दे रहा है.
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