हिमाचल की मंडी लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद और बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत के साथ बीते दिनों एक सीन हो गया. इस सीन में कंगना रनौत को रीयल थप्पड़ का सामना करना पड़ा है. चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चैंकिंग के दौरान सीआईएसएफ की एक महिला जवान कुलविंदर कौर ने कंगना रनौत को थप्पड़ जड़ दिया. कंगना के साथ हुई इस बदसलूकी के बाद हंगामा मचा हुआ है. यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन कंगना है कि मानती ही नहीं...और कंगना का यही अंदाज उस पर पड़े थप्पड़ का कारण बना है.
असल में किसान आंदोलन के दौरान की कई गई टिप्पणियों को लेकर किसानों और उनके परिवारों में, खासतौर पर हरियाणा और पंजाब के लोगों में काफी आक्रोश है. आक्रोश सिर्फ इस बात का नहीं है कि खेती-किसानी अब मुश्किल होती जा रही है. किसान इसे लेकर तो परेशान हैं ही, लेकिन उससे ज्यादा परेशान और आहत बिना सोचे-समझे सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों से हैं.
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थप्पड कांड दुर्भाग्यपूर्ण है, उसका कभी समर्थन नहीं किया जा सकता. लेकिन यह मामला बीजेपी के लिए एक सबक भी है. यह वाकया साबित कर रहा है कि किसान अभी पुरानी बातों को भूले नहीं हैं. कुलविंदर कौर के बहाने यह समझने की जरूरत है कि किसानों और उनके परिवारों में उनकी खेती-किसानी से जुड़ी मांगों को मानने या न मानने का आक्रोश उतना नहीं है, जितना कि उनके खिलाफ दिए गए बयानों से है. एक-एक बयान उनके अंदर कैद हैं और वो उससे उपजे गुस्से को दबाए बैठे हैं.
बेशक कुलविंदर कौर का कंगना के खिलाफ आक्रोश सिर्फ इसलिए था कि कंगना ने एक सीरियस किसान आंदोलन की हल्के और हलकट शब्दों के जरिए तौहीन की थी. कंगना रनौत ने करीब चार साल पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान एक ट्वीट करके आपत्तिजनक बात कही थी. कंगना ने अपने इस ट्वीट में पंजाब की 80 साल की एक बुजुर्ग महिला किसान की गलत पहचान करते हुए उन्हें बिलकिस बानो कहा था. कंगना ने जो ट्वीट किया था उसमें एक बुजुर्ग महिला दिखाई दे रही थीं, जो भले ही झुककर चल रही थीं, लेकिन उन्होंने किसान आंदोलन का झंडा बुलंद किया हुआ था. उनका नाम मोहिंदर कौर था.
कंगना ने मोहिंदर कौर की तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा था कि ''हा हा. ये वही दादी हैं जिन्हें टाइम मैगज़ीन की 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल किया गया था...और ये 100 रुपये में उपलब्ध हैं." हालांकि कंगना ने बाद में ये ट्वीट डिलीट कर दिया था. बता दें कि कंगना ने जिस बिलकिस बानो का जिक्र किया था, वह 82 साल की बुजुर्ग महिला हैं और उन्होंने दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सीएए प्रोटेस्ट के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं.
बहरहाल, कुलविंदर कौर के गुस्से को देखते हुए साफ झलक रहा है कि वह किसान आंदोलन को लेकर दिए गए कंगना रनौत के पुराने बयान से बेहद नाखुश थीं. कौर ने कहा कि इसने बोला था किसान आंदोलन में 100-100 रुपये में महिलाएं बैठती थीं. वहां मेरी मां भी थी'. सोचिए कि चार साल पुराने बयान को भी CISF की महिला जवान कुलविंदर कौर भूली नहीं थी. इस बयान के खिलाफ अपने दिल में गुस्सा और गुबार पाले बैठी थी. वो भी उस सीआईएसएस के जवान में इतना आक्रोश था, जो फोर्स अपने अनुशासन के अलावा कुछ और नहीं है.
यह इत्तेफाक की बात है कि कंगना एयरपोर्ट पर गई और वहीं तैनात कुलविंदर कौर ने थप्पड़ मार दिया. ऐसे में अब यह बीजेपी की सरकार को अब इस थप्पड को डिकोड करना जरूरी है कि किसानों पर गलत बयानों का कितना गहरा असर पड़ा है. तब जाकर किसानों से वह सीरियस बातचीत कर पाएगी. किसानों पर दिए गए बेतुके बयानों से उपजे गुस्से का नतीजा ही है कि लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है और हरियाणा की सियासत में प्रमुख चेहरा रहे ताऊ देवी लाल का पूरा परिवार अब घर बैठने का मजबूर हो गया है.
इसके बावजूद कंगना है कि मानती नहीं. वह किसानों की इंसल्ट पर इंसल्ट करती रहती है. जैसे वह कोई फिल्मी डायलॉग हो गया हो, लेकिन वह भूल जाती हैं कि रील और रीयल लाइफ में फर्क होता है और किसान और आम आदमी की रीयल लाइफ में भी जमीन आसमान का अंतर होता है.
इस घटना के बाद कंगना का जो वीडियो सामने आया है वो भी पंजाब के लोगों को आहत कर सकता है. निश्चित रूप से थप्पड़ कांड समर्थन करने योग्य नहीं है, लेकिन अपने साथ हुई इस घटना को कंगना ने सीधे आतंकवाद से जोड़ दिया है. इस तरह के आधारहीन और उकसाने वाले बयानों पर कहा जा सकता है कि कंगना है कि मानती ही नहीं, लेकिन ये भी सच है कि इस तरह के सेलिब्रिटी बयान किसान आंदोलन को लेकर आम आदमी के मन में एक काल्पनिक रील बनाते हैं, जो दूसरों को भी इस तरह की बयानबाजी के लिए प्रेरित करते हैं.
वहीं इस तरह के बयान फिर किसानों के मुद्दों पर सार्थक बहसों के रास्ते बंद करते हैं. नतीजतन अलगाावदी ताकतें मजबूत होती हैं और राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अब उम्मीद है कि बीजेपी आला कमान अब कम से कम कंगना का मुंह किसानों के मुद्दे पर बंद रखने की नसीहत देगा.
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