केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आम बजट पेश किया, जिसमें कृषि क्षेत्र को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की गईं, लेकिन किसानों की कई मांगों को संबोधित नहीं किया गया. बजट पर कई बड़े किसान संगठनों और किसान नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है. इसी क्रम में 12 मांगों को लेकर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने केंद्र के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसकी आलोचना की और सरकार पर सवाल दागे. साथ ही दोनों मोर्चाें ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हेल्थ को लेकर भी अपडेट दिया.
जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर के नेतृत्व वाले दोनों किसान संगठनों ने प्रेस रिलीज के माध्यम से साझा बयान जारी करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि आम बजट में एक बार फिर किसानों को निराशा हाथ लगी है. सरकार किसानों की किसी भी उम्मीद पर नहीं उतर पाई. देश में किसानों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन पूरे बजट (50,65,345 करोड़ रुपये) में से मात्र (1, 71, 437 करोड़ रुपये) कृषि क्षेत्र को दिए गए, जो मात्र 3.38 प्रतिशत है.
किसान नेताओं ने कहा कि देश के किसानों की प्रमुख मांग MSP गारंटी कानून है और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में लगभग 1 साल से चल रहे आंदोलन के दौरान हालिया समय में जगजीत सिंह डल्लेवाल का सत्याग्रह पिछले 68 दिनों से चल रहा है, जिसे पूरे देश में समर्थन मिल रहा है.
इस आंदोलन की सबसे प्रमुख मांग भी MSP गारंटी कानून है, लेकिन उसके बावजूद हालिया बजट में MSP गारंटी कानून के विषय में केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया, जो बेहद निराशाजनक है. किसान नेताओं ने कहा कि अपने बजट के भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि उत्पादों के विषय में देश को आत्मनिर्भर बनाने और फसलों के विविधिकरण की बातें कहीं, लेकिन सरकार की तरफ से उसके लिए न तो कोई ठोस रूपरेखा की घोषणा की गई और न ही बजटीय प्रावधान किया गया.
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि वह अगले 4 वर्षों तक तुअर, उड़द और मसूर की फसलें नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से MSP पर खरीदेगी, जिससे देश दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा, लेकिन हम केंद्र सरकार से पूछना चाहते हैं कि अगर वह दलहन और तिलहन में देश को सच में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है तो दलहन-तिलहन की सभी फसलों को MSP गारंटी कानून के दायरे में क्यों नहीं ला रही है और 4 साल तक की खरीद की लिमिट क्यों लगाई जा रही है?
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल 1, 41, 000 करोड़ रुपये से अधिक के खाद्यान तेल और 31, 170 करोड़ रुपये से अधिक की दालों का आयात किया, अगर खाद्यान तेल और दालों के आयात के लिए खर्च किया गया 1, 72, 170 करोड़ रुपये अपने देश के किसानों को दिया जाए तो MSP गारंटी कानून भी बन जाएगा, कृषि उत्पादों के मामले में देश आत्मनिर्भर भी बन जाए और फसलों का विविधिकरण भी हो जाएगा.
किसान नेताओं ने कहा कि किसानों की मांग है कि उन्हें कर्जमुक्त किया जाए और स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए, ताकि किसानों को भविष्य में कर्ज लेने की जरूरत ही न पड़े. लेकिन, दूसरी तरफ केंद्र सरकार किसानों की किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर रही है, ताकि किसान और ज्यादा कर्जदार हो जाए.
किसान नेताओं ने कहा कि खेती के संकट का समाधान किसानों को और ज्यादा कर्जदार बनाने से नहीं, बल्कि MSP गारंटी कानून के जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने से होगा. वहीं, दोनों संगठनों ने डल्लेवाल की सेहत पर अपडेट देते हुए कहा कि दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर उनका आमरण अनशन 68वें दिन जारी रहा. शुक्रवार सुबह से जगजीत सिंह डल्लेवाल के कान में काफी दर्द हो रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी देखरेख कर रही है.
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