विरोध प्रदर्शन के बीच ही किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर तेवर दिखाए हैं. उन्होंने कहा है कि आज देश का किसान वहां पहुंच गया है, जहां से वह हारकर वापस नहीं लौटेगा. उनका कहना था कि सरकार किसानों को बदनाम कर उन्हें बर्बाद करना चाहती है. यमुनानगर पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कई तरह के आरोप भी लगाए हैं. उनका कहना था कि किसान हार कर तो बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा. उन्होंने मांग की कि सरकार किसान कमेटी से बातचीत करे और मसले को सुलझाने की तरफ ध्यान दे.
राकेश टिकैत ने बड़े आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार से किसानों की कमेटी की बात इस लिए सिरे नही चढ़ती क्योंकि सरकार किसान आंदोलन को चुनावों के बाद तक चलाना चाहती है. इस आंदोलन के जरिए सरकार देश के किसानों को बर्बाद करना चाहती है, वह किसानों को बांटना चाहती है और उन्हें बदनाम करना चाहती है. जबकि देश का किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहा है.
राकेश टिकैत की माने तो शंभू बॉर्डर पर जारी आंदोलन में ऐसे लोग भी शामिल है जिनसे किसान संगठनों को नुकसान होगा. टिकैत ने आरोप लगाया है कि आंदोलनकारियों में आरएसएस के लोग भी घुसे हुए हैं. उनकी रणनीति है की इस आंदोलन को पंजाब का बनाया जाए. ऐसा करके वो पंजाब के किसानों, सिखों के साथ-साथ पंजाब सरकार को भी बदनाम करने की साजिश कर रही है.
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राकेश टिकैत ने कहा की संयुक्त मोर्चा ने इस आंदोलन में किसानों के ऊपर हुए अत्याचारों के खिलाफ बाहर से समर्थन किया हुआ है. छह सदस्यों की तालमेल कमेटी भी बनाई हुई है और उनसे बातचीत होनी चाहिए. उस बातचीत के बाद आंदोलन का रुख तय होगा. टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ही दिल्ली गया था.
झंडा बैनर भले अलग-अलग हो लेकिन आपस में तालमेल होना चाहिए. गलत बयान बाजी से बचना चाहिए क्योंकि गलत बयानबाजी का ही सरकार फायदा उठाएगी. टिकैत ने यह भी कहा कि आपस में तालमेल कर के ही बड़ी कॉल देनी चाहिए. पूरे देश के 40 से 42 ऐसे किसानों के नेता हैं जो दिल्ली से वापस लौटे थे उन्हीं को वह लीडर मानते हैं. वो नेता जो भी कहेंगे उसको ही माना जाएगा.
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राकेश टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा कि सांकेतिक रूप से हाईवे पर दिल्ली की तरफ रुख कर ट्रैक्टर इसलिए खड़े किए गए थे क्योंकि सरकार कहती है की इन्हें दिल्ली नही आने दिया जाएगा. टिकैत का दावा है की ये वही चार लाख ट्रैक्टर हैं जो 26 जनवरी को दिल्ली गए थे और फिर दिल्ली जा सकते है. इसके अलावा किसी और राजधानी को भी दिल्ली बनाना पड़ा तो किसान उसके लिए भी तैयार हैं. टिकैत ने कहा की उनका 14 मार्च को दिल्ली प्रस्तावित है.
(आशीष शर्मा की रिपोर्ट)
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