बिहार में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. वहीं, बीते कुछ दिनों से सूबे की राजनीति में काफी गरमाहट देखने को मिल रही है. लेकिन शनिवार को बिहार सरकार ने अपने कैबिनेट में बदलाव करते हुए ठंड के मौसम में राजनीति तापमान को और बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन मंत्रियों की जिम्मेदारी में बदलाव किया है. शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे चंद्रशेखर को अब गन्ना उद्योग विभाग का पदभार दिया गया है. वहीं, आलोक मेहता को शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी दी गई है.
इसके साथ ही ललित यादव को भूमि राजस्व विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इन बदलाव के बीच गन्ना मंत्री के पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद चंद्रशेखर के लिए सफर इतना आसान भी नहीं रहने वाला है. क्योंकि गन्ना के दाम से लेकर चीनी मिल और गुड उद्योग को बढ़ावा देने सहित अन्य स्थानीय मुद्दे हैं. खास बात यह है कि तीनों कैबिनेट मंत्री आरजेडी कोटे से आते हैं. वहीं, सचिवालय विभाग की ओर से शनिवार शाम को ही कैबिनेट में बदलाव को लकेर अधिसूचना जारी कर दी गई. जिसमें बताया गया है कि यह निर्णय मुख्यमंत्री की सलाह के बाद लिया गया है.
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मंत्री बनने के बाद चंद्रशेखर को गन्ना उद्योग विभाग के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने होंगे. अगर राज्य में गन्ने की खेती पर नजर डालें तो कुल कृषि भूमि लगभग 53.95 लाख हेक्टेयर के आसपास है, जिसमें लगभग तीन लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है. वहीं, राज्य में उत्तरी बिहार के जिलों में सबसे अधिक गन्ने की खेती की जाती है. इनमें ,सीतामढ़ी, समस्तीपुर, भागलपुर दरभंगा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सहरसा और पूर्णिया जिला शामिल है. इसके अलावा पटना, भोजपुर और गया में भी गन्ने की खेती की जाती है.
लेकिन फसलों के दाम सही नहीं मिलने से किसान खेती में बदलाव कर रहे हैं. इसके साथ राज्य में बंद पड़े कई चीनी मिलों को चालू करने को लेकर किसानों द्वारा कई बार आवाज़ उठाया गया है. लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं आया है. हाल के समय में सूबे में कुल 9 चीनी मिलें चालू हैं. इसके साथ ही सरकार के द्वारा चतुर्थ रोडमैप के तहत सूबे में गुड उद्योग की स्थापना के साथ चीनी मिल को अनुदान देने की बात कही गई है.
चंद्रशेखर जितने अपने काम को लेकर चर्चा में नहीं रहे. उससे कहीं ज्यादा धार्मिक मुद्दे पर दिए अपने विवादित बयान से चर्चा में रहे हैं. जिसके बाद से कई बार उनके मंत्री पद से हटाने की मांग भी उठ चुकी है. यहां तक कि शिक्षा मंत्री रहते उन्होंने रामचरितमानस की तुलना जानलेवा पोटेशियम साइनाइड से कर दिया था. इसके साथ ही बीते कुछ समय से अपने ही विभाग के अपर सचिव अपर मुख्य सचिव केके पाठक के साथ भी इनके विवादों की खबरें आ चुकी हैं. जिसके बाद केके पाठक की नाराजगी और पिछले दिनों 31 जनवरी तक छुट्टी पर भी चले जाने की चर्चा काफी बड़ा मुद्दा बना रहा.
लेकिन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को पाठक ने अपना कार्यभार संभाल लिया. लेकिन चौबीस घंटे भी पूरे होने से पहले ही शिक्षा विभाग के मंत्री पद से चंद्रशेखर को हटा कर गन्ना उद्योग विभाग का मंत्री बना दिया गया. अब देखना होगा कि गन्ना विभाग का कार्यभार संभालने के बाद गन्ना किसानों की ज़िन्दगी में कितना बदलाव लाता है. वहीं, चीनी और गुड उद्योग की रफ्तार में कितनी तेजी लाते हैं.
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