हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. हुड्डा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने में विफल रहने के लिए हरियाणा सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को MSP के नाम पर धोखा दिया है. हुड्डा ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि राज्य की कई मंडियों में धान की खरीद औने-पौने दामों पर की जा रही है. घरौंडा और करनाल की अनाज मंडियों के दौरे के दौरान हुड्डा ने किसानों, मजदूरों और आढ़तियों से बातचीत की और देरी से खरीद, अस्वीकृत फसलों और भुगतान में देरी के बारे में उनकी शिकायतें सुनीं.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस मौसम में किसान भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. उनकी फसलें समय पर नहीं खरीदी जा रही हैं. साथ ही एमएसपी का भुगतान नहीं हो रहा है और भुगतान में देरी हो रही है. इसके अलावा उन्होंने 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल से लेकर सत्यापन, गेट पर पाबंदी और उठान में देरी तक का मुद्दा उठाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियां उच्च नमी या रंगहीन अनाज जैसे गलत आधारों पर धान को खरीदने से मना कर रही हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज एमएसपी से 500-800 रुपये कम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एमएसपी की दरें 200 रुपये, 400 रुपये और यहां तक कि 800 रुपये प्रति क्विंटल कम हैं. मैंने जितने भी किसानों से मुलाकात की उनमें से एक को भी वादा किया गया एमएसपी नहीं मिल रहा. सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है. उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले धान के लिए 3,100 रुपये प्रति क्विंटल MSP देने का वादा किया था.
तत्काल राहत की मांग करते हुए हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार नमी के मानदंडों को 17 फीसदी से घटाकर 22-24 फीसदी करें. रंगहीन अनाज की सीमा 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करे और 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित करें. उन्होंने आगे कहा कि इस साल अत्यधिक बारिश, बाढ़ और जलभराव के कारण कुछ इलाकों में फसल का 100 फीसदी तक नुकसान हुआ है, जबकि अन्य इलाकों में पैदावार में भारी कमी आई है. हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा प्रति एकड़ 15,000 रुपये का मुआवजा पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है, जबकि वास्तविक नुकसान 60,000 रुपये से 70,000 रुपये प्रति एकड़ के बीच है. उन्होंने कहा कि घोषित मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
हुड्डा ने भुगतान में अफसरशाही बाधाओं की ओर भी इशारा किया और सरकार से खरीद को व्यवस्थित करने के लिए मंडियों में डिजिटल तौल मशीनें लगाने का आग्रह किया. नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार, जिसने हाल ही में एक साल पूरा किया है उसपर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री हरियाणा आ रहे हैं, लेकिन वे कौन सी उपलब्धियां बताएँगे? क्या सरकार ने किसानों या मजदूरों को राहत दी है या कानून-व्यवस्था में सुधार किया है? यहां तक कि वादा किया गया मुआवज़ा और बोनस भी नहीं दिया गया है.
लाडो-लक्ष्मी योजना की आलोचना करते हुए हुड्डा ने कहा कि भाजपा ने सभी महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति महीने देने का वादा किया था, लेकिन बाद में इसे 20 लाख रुपये तक सीमित कर दिया. अब तक केवल 1,71,000 महिलाओं ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि सरकार के पास पहले से ही आधार और परिवार पहचान पत्र का डेटा मौजूद है. यह जनता को गुमराह करने का एक और उदाहरण है.
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