भारतीय परंपरा में चूड़ी को बेहद अहम आभूषण माना जाता है.चूड़ी को सुहाग की निशानी माना जाता है. भारतीय परंपरा में सुहागिन औरतें इसे पहनना खूब पसंद करती हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि ये चूड़ियां बनती कैसे हैं?
चूड़ी अलग-अलग मेटेरियल से बनाई जाती है. झारखंड में लाह से चूड़ियां बनाई जाती हैं. लाह से बनने वाली इन चूड़ियों को यहां की महिलाएं बनाती हैं. इससे उन ग्रामीण महिलाओं को अच्छी कमाई भी होती है.
लाह की चूड़ी बनाने के लिए लाह की प्रोसेसिंग की जाती है. इसके बाद बटन लाह बनाया जाता है. फिर इससे चूड़ी बनाई जाती है. वहीं इस चूड़ी की मांग बाजारों में अधिक होती है.
लाह के अलावा जो बाकी सामग्री का इस्तेमाल चूड़ी में होता है उसे महिलाएं बाजार से खरीदती हैं. वहीं झारखंड के खूंटी जिले के कई गांवो में ग्रामीण महिलाओं को लाह की चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके बाद से महिलाएं चुड़ी बना रहीं हैं.
लाह की खेती झारखंड की महिलाएं खुद करती हैं, वहीं लाह की प्रोसेसिंग गांव में ही की जाती है, इसके बाद इससे चूड़ी और अन्य सामग्री बनाई जाती है. जिसे बाजारों में बेच महिलाएं अच्छी कमाई करती हैं.
झारखंड में विश्व का सबसे अधिक लाह पैदा होता है, इसलिए यहां पर इस उद्योग को बड़ी संभावनाओं के तौर पर देखा जाता है. खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह मददगार साबित हो सकता है.
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