मौसम विभाग के अलर्ट के बाद हिंगोली जिले में बारिश हो रही है. सोमवार रात लोहरा इलाके में बादल फटने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई. लोहरा गांव के पास बने पझार तालाब की दीवार टूटने से 300 एकड़ खेत में खड़ी सोयाबीन और कपास की फसलें बह गईं. बाढ़ का पानी इतना तेज था कि अपने साथ घर और इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर पोल सब कुछ बहाकर ले गया.
मराठवाड़ा में बारिश का अलर्ट जारी होने के बाद सोमवार रात हिंगोली लोहरा इलाके में इस कदर बारिश हुई कि लोहरा, पिंपलदरी समेत आसपास के गांव खतरे मे आ गए. भारी बारिश के बाद पझार तालाब की दीवार टूटी और दीवार के निचले इलाके में स्थित घर, खेत सब पानी में बह गया. वहां पर जो किसान अपने परिवार के साथ रह रहे थे, उन्होंने जैसे तैसे अपनी जान बचाई.
बारिश की अगली सुबह जब किसान जगे तो बाढ़ का मंजर आंखों के सामने था. किसान उमेश चव्हाण की मानें तो जहां पर वे खड़े हैं, कल वहां उनका घर था. मगर कल रात आई बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. बाढ़ का पानी घर में रखे खाने पीने का सामान बहाकर अपने साथ लेकर चला गया. अब यहां बची हैं तो सिर्फ उसकी यादें.
यही हाल बाकी किसानों का भी है. नाले में आई बाढ़ के पानी में आसपास के खेतों में खड़ी फसलें बह गईं. बाढ़ का पानी इतना तेज था कि 3 फिट जमीन में गड़ी पाइपलाइन खुल गई. खेतों में फसल और मिट्टी की जगह पर रेत और पत्थर दिख रहे हैं. किसानों के खेत में लगे पानी के पंप और पाइप के साथ-साथ इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर और पोल बहकर चले गए.
एक किसान ने बताया कि कल रात का मंजर इतना डरावना था कि यहां के लोग अभी भी सदमे में हैं. बताया जा रहा है कि जिस तालाब में बाढ़ आई उसे 2 साल पहले ही बनवाया गया था. तालाब की दीवार कमजोर है, उसे मजबूत करने को लेकर यहां के किसानों ने प्रशासन के पास शिकायत भी की थी मगर उसका कोई फायदा नहीं हुआ. अब यहां के किसानों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.
भारी बर्बादी के बाद यहां के किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि नुकसान के पंचनामे किए जाएं और उनकी फसलों की बर्बादी की भरपाई दी जाए. किसानों की मांग ये भी है कि तालाब के बांध को बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो. किसानों का कहना है कि अधिकारियों की अनदेखी की वजह से ही बांध टूटा और बाढ़ की स्थिति पैदा हुई.
एक महिला किसान ने रोते हुए कहा कि कल रात अचानक तेज बाढ़ का पानी हमारे घुसने लगा तो हम घबराकर ऊंची टेकड़ी वाले ठिकान पर चले गए. मगर बाढ़ के पानी में हमारे खाने पीने का सामान और कुछ मुर्गियां और बकरियां बह गईं. जिन मवेशियों को पालकर कमाई कर रहे थे, वे सब भारी बारिश में बह गए. सरकार को हमें मुआवजा देना चाहिए.
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