करीब 27 साल पहले वैशाली जिले के फुलवरिया रामपुर गांव निवासी मनीष शर्मा ने कभी नहीं सोचा था कि जिस आम के बाग की उन्होंने उस समय शुरुआत की थी, वह एक दिन उनके परिवार के जीवनयापन का मुख्य आधार बन जाएगा. आज उनके आम, अमरूद और लीची के बागान से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है.
खेती में उन्हें एक अलग पहचान और सम्मान भी मिला है. बागवानी के इस व्यवसाय से मनीष शर्मा सालाना करीब 10 लाख रुपये की शुद्ध कमाई कर रहे हैं. वे न केवल अपने बाग के आम भारत के बाहर निर्यात कर रहे हैं, बल्कि अपने बाग में विदेशी किस्म के मियाज़ाकी आम और पाकिस्तानी अनार भी उगा रहे हैं.
मनीष शर्मा बताते हैं कि वर्ष 1998 में, जब वे दसवीं कक्षा में पढ़ते थे, तभी उन्होंने अपने गांव में आम का यह बाग लगाया था. उस समय उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि यही बाग एक दिन उनके जीवन में मिठास घोल देगा. हालांकि कुछ वर्षों बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली जाकर नौकरी करनी पड़ी.
लेकिन कई सालों की नौकरी के बाद भी जब सफलता नहीं मिली, तो 2012 में वे वापस गांव लौट आए. गांव लौटने के बाद उन्होंने अपने पुराने बाग में ही बेहतर भविष्य की संभावनाएं देखीं और बागवानी की ओर रुख किया. आज वे कहते हैं कि दिल्ली की नौकरी से बेहतर जीवन वे अपने गांव में बिता रहे हैं और उससे अधिक कमाई भी कर रहे हैं.
गांव लौटने पर मनीष ने अपने ही बाग का सालाना 40 हजार रुपये किराया अपने परिवार को देकर फल व्यवसाय की शुरुआत की. पहले ही साल आम की फसल से उन्होंने करीब 3.5 लाख रुपये की कमाई की. इसके बाद उन्होंने अन्य किसानों से भी लीची और अमरूद के बाग किराये पर लेने शुरू किए और स्वयं भी नए पौधे लगाए.
आज वे फल की खेती से महीने में करीब 80 हजार रुपये से अधिक की आय कर रहे हैं. जहां पहले इस बाग का सालाना किराया 40 हजार रुपये भी नहीं मिलता था, वहीं आज आम से लगभग 8 लाख और अमरूद से करीब 2 लाख रुपये की सालाना कमाई हो रही है. लीची से भी उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है.
मनीष बताते हैं कि मियाज़ाकी आम की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 80 हजार रुपये से लेकर 3.5 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है. इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तानी किस्म के अनार के पेड़ भी लगाए हैं, जिनमें अभी फल आना बाकी है. उनके बाग में जर्दालू, जर्दा, बंबइया और मालदह जैसी आम की लोकप्रिय किस्में भी हैं.
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