ओडिशा और झारखंड के किसानों और किसान परिवारों के लिए वाड़ी मॉडल एक बेहतर प्रयोग साबित हो रहा है. इसके जरिए किसानों की आजीविका में सुधार हो रहा है साथ ही इससे उनके पोषण में भी सुधार हो रहा है. ओडिशा के आदिवासी बहुल जिले सुंदरगढ़ जिले के खनन प्रभावित इलाके के किसानों के लिए यह मॉडल वरदान साबित हो रहा है. वाडी मॉडल के जरिए किसानों को टिकाऊ खेती का एक बेहतरीन मॉडल मिल गया है जिससे किसानों की आजीविका में सुधार हो रह है. खास कर छोटे और सीमांत किसानों को इसके जरिए पैसा कमाने एक जरिया मिल गया है. वाड़ी मॉडल में किसान प्रमुख तौर पर सब्जियो की खेती करते हैं.
जिले के हेमगिरि, कुतरा, राजगांगपुर, लहुनिपाड़ा, कुआंरमुंडा और कोइड़ा ब्लॉक में 3,000 एकड़ से अधिक जमीन में वाड़ी मॉडल के जरिए खेती की जा रही है. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. खास कर हेमगिर प्रखंड का सुरुलता गांव इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार लोगों द्वारा अगर सामूहिक प्रयास किया जाए तो गरीब आबादी की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सुरुलता की महिला किसान भगवती सिंह बतातीं हैं कि वो लगातार लौकी, मिर्च, भिंडी, बैंगन, लोबिया और तोरई उगा रही हैं. उन्होंने कहा की जब एक बार सब्जी खेत में तैयार हो जाती है तो व्यापारी आकर उसे खरीद लेते हैं और तुरंत ही पैसे का भी भुगतान कर देते हैं.ॉ
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एक अन्य किसान सिबा देहुरी ने अपने वाड़ी को दिखाते हुए कहा कि पहले जमीन के इस छोटे टुकड़े से किसी प्रकार का कोई मुनाफा नहीं होता था. पर अब सौर पंप सेट प्रदान किए जाने के बाद उन्होंने आम के पेड़ लगाए और अन्य फसलों की खेती भी की. वाडी मॉडल में लंबी अवधि के लिए फल देने वाले फल और छोटी भूमि पर सब्जियों की खेती की परिकल्पना की गई है. इस मॉडल के जरिए किसान कुल कितनी कमाई कर रहे यह तो वो स्पष्ट रुप से बता नहीं पा रहे हैं पर यह अवश्य बता रहे हैं कि उनकी कमाई बढ़ी है.
वाड़ी मॉडल के लिए प्रशासन की तरफ से किसानों का क्षमता विकास किया जा रहा है. प्रशासन की तरफ से प्रशासन किसानों को अधिक उपज प्राप्त करने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ सिंचाई सुनिश्ति करने के लिए सौर पंप सेट और खाद बीज प्रदान कर रहा है. प्रशासन ने 'मो बड़ी परिबा' ब्रांड के तहत फसलों की बिक्री भी सुनिश्चित की है, साथ ही मार्केटिंग के लिए मदद कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढॉ के व्यापारी सब्जियां लेने के लिए हेमगिर प्रखंड में आते हैं. प्रखंड में कई ऐसे किसान हैं जो परवल बेचकर सालाना 80,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. पिछले तीन वर्षों से बागवानी विभाग द्वारा कार्यान्वित, वाडी परियोजना की सुंदरगढ़ जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) की तरफ से फंडिंग की गई है.
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