आइसक्रीम खाना सभी लोग पसंद करते हैं. आइसक्रीम में अलग-अलग फ्लेवर होते हैं. इसमें वनीला फ्लेवर होता है जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. पर क्या आप जानते हैं की वनीला की खेती की जाती है. काजू. अखरोट और बादाम की तरह ही इसकी भी खेती की जाती है. वनीला की खेती से किसानों को बंपर कमाई भी होती है. इतना ही नहीं कई लोग यह भी मानते हैं कि इसकी काफी अच्छी कीमत भी मिलती है. इसलिए यह माना जाता है कि वनीला की खेती किसानों के लाभदायक होती है और देश में कई किसान इसकी खेती भी करते हैं. पर वनील की खेती करने वाले किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
अगर किसान पारंपरिक खेती से हटकर खेती करना चाहते हैं और अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो वनीला की खेती उनके लिए एक बेहकर विकल्प साबित हो सकती है. इसकी खेती में भी किसान लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती करके किसान काजू, अखरोट, अंजीर और केसर से अधिक की कमाई कर सकते हैं. बता दें कि वनीला का सबसे अधिक इस्तेमाल आइसक्रीम बनाने में किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल केक और चॉकलेट बनाने में भी किया जाता है. देश में वनीला की खेती कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और केरल के किसान करते हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में यह 40 हजार रुपये प्रति किलो तक की दर से बिकता है. यही कारण है कि इसकी खेती के तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वनीला की खेती कैसे की जाती है. वनीला की खेती के लिए अच्छी भूरे रंग की भुरभुरी मिट्टी का चयन करना चाहिए. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से लेकर 7.5 के बीच होना चाहिए. यह इसकी खेती के लिए अच्छा माना जाता है. वनीला की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए, ताकि किसानों को यह पता चल सके की वनीला की खेती के लिए कौन-कौन से जरूरी तत्व की मिट्टी में कमी है,उसके हिसाब से मिट्टी का उपचार किया जा सकता है.
वनीला की खेती करने के लिए छायादार जगह की जरूरत होती है. हालांकि जिन जगहों पर अधिक धूप और अधिक गर्मी नहीं पड़ती है वहां पर इसकी खेती के लिए छायादार जगह की जरूरत नहीं पड़ती है. किसान शेड हाउस में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं. हालांकि इसकी फसल को रोशनी की जरुरत होती है इससे फसलों का विकास अच्छे से होता है. इसकी खेती के लिए बीज का इसके पौधे की कटिंग से भी खेती की जा सकती है.
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इसकी खेती करने के लिए गड्डे को पहले से ही तैयार करना पड़ता है. इसके बाद इसके बेल को बांधने के लिए तार या रस्सी लगाना पड़ा है. इससे बेल का विकास अच्छे से होता है. इसकी कटिंग या बीज की रोपाई से पहले गड्ढे में सड़ी हुई गोबर खाद और केंचुआ खाद डालना चाहिए. इसके साथ ही सिंचाई करते समय 100 लीटर पानी में एक किलोग्राम एनपीके मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए. फव्वारा विधि से सिंचाई करने से इसकी खेती में अच्छा फायदा होता है. वनीला की फसल में पौधे रोपाई के बाद 10 से 11 महीने से फूल, फलिया, और बीज प्राप्त होते है.
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