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हल्दी की आवक कम और मांग ज्यादा, इसलिए दाम में आया 200 परसेंट का उछाल 

हल्दी की आवक कम और मांग ज्यादा, इसलिए दाम में आया 200 परसेंट का उछाल 

आपके मसालेदानी में रखी हल्‍दी की कीमतों ने आसमान छू लिया है. तमिलनाडु के इरोड जिले में हल्‍दी 21369 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम पर पहुंच गई है. किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर पीले रंग के इस मसाले में ऐसा कौन सा 'सोना' मिल गया जो इसके दाम में इतनी इजाफा हो गया है.

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हल्‍दी के दामों में 200 फीसदी से ज्‍यादा का इजाफा हल्‍दी के दामों में 200 फीसदी से ज्‍यादा का इजाफा

आपके मसालेदानी में रखी हल्‍दी की कीमतों ने आसमान छू लिया है. तमिलनाडु के इरोड जिले में हल्‍दी 21369 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम पर पहुंच गई है. किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर पीले रंग के इस मसाले में ऐसा कौन सा 'सोना' मिल गया जो इसके दाम में इतनी इजाफा हो गया है. व्‍यापारियों की मानें तो इस व्यापारियों के मुताबिक इस सीजन के लिए हल्दी की आवक पिछले महीने से शुरू हो गई थी. शुरुआत में नीलामी कीमत 15000 रुपये प्रति क्विंटल थी. हालांकि, तीन हफ्तों के अंदर ही कीमत 21000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई. आगे आने वाले समय में इसमें और इजाफा होने की पूरी उम्‍मीद है. 

हल्‍दी की कम सप्‍लाई 

इरोड हल्दी व्यापारी और गोदाम मालिक संघ के सदस्यों ने कहा है कि कर्नाटक, इरोड और अन्य जिलों से ताजा हल्दी की आवक मार्च में भी कम बनी हुई है. उन्होंने हल्दी की आसमान छूती कीमतों के लिए चालू वर्ष में खेती की अवधि के दौरान गंभीर सूखे की आशंका को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि देश भर के बाजारों में ताजा हल्दी की आवक कम बनी हुई है. कम आवक और खेती में समस्याओं के बीच हल्दी की कीमतें अभूतपूर्व उछाल के साथ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. वैश्विक मांग में बदलाव और उत्पादन में उतार-चढ़ाव के बावजूद हल्‍दी के ग्लोबल कारोबार में अभी भारत का दबदबा कायम है, जो बाजार की गति को दिशा दे रहा है.  

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लगातार बढ़ती कीमतें 

हल्दी की मौजूदा कीमतें अप्रैल 2023 के 6452 के निचले स्तर के मुकाबले 205 फीसदी ज्‍यादा हैं. कीमतों में यह बढ़ोतरी ताजी हल्दी की आवक में कमी और खेती के रकबे को लेकर अनिश्चितता के कारण देखने को मिल रही है. इस साल उत्पादन में कम से कम 30 से 35 फीसदी की गिरावट आई है. प्रतिकूल मौसम के कारण हल्दी की पैदावार प्रभावित हुई है. ताजी हल्दी की आवक अनुमान से कम है, मुख्य रूप से धर्मपुरी, कर्नाटक और इरोड जिले के कुछ क्षेत्रों से ही आवक हो रही है. देश भर में हल्दी की खेती के रकबे में 30 फीसदी से ज्‍यादा की गिरावट आई है और इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार में भी कमी देखने को मिल रही है, जिससे हल्दी उत्पादन का पूर्वानुमान कम हुआ है. 

बाकी देशों से मांग में कमी 

कोविड के बाद भारतीय हल्दी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण भी प्रमुख आयातक देशों की मांग में कमी देखी गई है. हालांकि हल्दी के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 80 फीसदी स्‍तर तक बनी हुई है. बाकी हल्दी उत्पादक देश कम कीमतों पर अपना माल बेच रहे हैं. कारोबार में कमी, बढ़ती निर्यात मांग और नई फसल की गुणवत्ता में कमी के कारण हल्दी की कीमतों को मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है. कटाई में देरी और कम पैदावार भी कीमतों में तेजी की वजह बनी है.

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साल 2023-24 सीजन के लिए भारत की कुल आपूर्ति 94.4 लाख बोरी रहने का अनुमान है. हल्दी के उत्पादन में 60 लाख बैग की गिरावट आई है. इसके बावजूद खपत में बढ़ोतरी का अनुमान है. निर्यात में वृद्धि के बावजूद हल्दी की मांग आपूर्ति से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे स्टॉक में कमी आएगी.

कब सुधरेंगे हालात 

साल 2023-24 सीजन के लिए हल्दी की कीमतों का अनुमानित दायरा एक छोटे पैटर्न को दर्शाता है. वर्तमान में कीमतें 19000 के स्तर से ऊपर चल रही हैं. तकनीकी रूप से मामूली ओवरबॉट जोन के साथ आपूर्ति दबाव के चलते कुछ मुनाफावसूली देखी जा सकती है, लेकिन अप्रैल से जून तक कीमतें 21700 से 25000 तक के स्‍तर पर रहने की उम्‍मीदें हैं. हालांकि, जुलाई में कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है और इसके बाद अगस्त में कीमतें और नीचे आ सकती हैं, जो नई फसल की आवक, मौसमी बदलाव और उपभोक्ता प्राथमिकताओं में बदलाव जैसे कारणों के चलते हो सकता है.