scorecardresearch
ये है भेड़ की अन्नदाता नस्ल, ऊन के साथ मांस और दूध से बढ़ती है किसानों की कमाई

ये है भेड़ की अन्नदाता नस्ल, ऊन के साथ मांस और दूध से बढ़ती है किसानों की कमाई

मेयनी भेड़ की एक ऐसी प्रजाति है जो ऊन उत्पादन के लिए जानी जाती है. इस नस्ल के भेड़ से ऊन का उत्पादन अधिक होता है. भेड़ की इस प्रजाति का वजन 55 से 60 किलोग्राम तक होता है. इस भेड़ से उन्नत किस्म का ऊन प्राप्त होता है. इससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है. इसका रंग भूरा होता है.

advertisement
भेड़ पालन (सांकेतिक तस्वीर) भेड़ पालन (सांकेतिक तस्वीर)

भेड़ पालन किसानों के लिए कमाई का एक बेहतरीन जरिया है. कृषि के बाद यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां से किसानों को अच्छी आमदनी होती है. देश में किसान अच्छी कमाई के लिए पशुपालन के साथ-साथ खेती बाड़ी भी करते हैं. खेती के साथ पशुपालन करने से किसानों को यह फायदा होता है कि उन्हें अपने खेते के लिए खाद मिल जाती है. साथ ही खेत से पशुओं के लिए चारा भी मिल जाता है. भेड़ पालन दूध, ऊन और मांस के लिए किया जाता है. ग्रामीण इलाकों, खास कर पहाड़ी इलाकों में भेड़ पालन खूब किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में भेड़ों को चराने के लिए अच्छी जगह होती है. 

भेड़ पालन में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए इसके अच्छे नस्लों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि इनसे पशुपालक को अच्छी मात्रा में ऊन, दूध और मांस मिल सके. वैसे तो भारत में भेड़ की कई प्रजातियां पाई जाती हैं. पर इस खबर में आज हम आपको भेड़ की तीन प्रमुख प्रजातियों के बारे में बताएंगे. इन प्रजातियों के पालन से पशुपालक अच्छी कमाई कर सकते हैं. 

ये भी पढ़ेंः Cow: जानें गायों को होने वाली गंभीर बीमारी और उनके लक्षण, पढ़ें पूरी डिटेल 

दूध के लिए लोकप्रिय है मेयनी भेड़

मेयनी भेड़ की एक ऐसी प्रजाति है जो ऊन उत्पादन के लिए जानी जाती है. इस नस्ल के भेड़ से ऊन का उत्पादन अधिक होता है. भेड़ की इस प्रजाति का वजन 55 से 60 किलोग्राम तक होता है. इस भेड़ से उन्नत किस्म का ऊन प्राप्त होता है. इससे पालकों को अच्छी कीमत मिलती है. इसका रंग भूरा होता है. भेड़ के इन प्रजाति की ऊंचाई 65-70 सेमी के बीच की होती है. भेड़ की इस नस्ल को अन्नदाता भेड़ भी कहा जाता है. भेड़ की इस प्रजाति का पालन मुख्य तौर पर गुजरात में किया जाता है. पर इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी किसान बड़े पैमाने पर इसका पालन करते हैं. ऊन के अलावा दूध के लिए भी यह नस्ल काफी लोकप्रिय मानी जाती है. 

ऊन उत्पादन में लोही भेड़ का बड़ा रोल

लोही भेड़ की प्रजाति सबसे अधिक राजस्थान में पाई जाती है. राजस्थान के अलावा गुजरात और पंजाब में भी इस भेड़ का पालन किया जाता है. ऊन उत्पादन में भेड़ की इस नस्ल का सबसे अधिक योगदान होता है. भेड़ की इस नस्ल का वजन 65 से 75 किलोग्राम का होता है जबकि मादा भेड़ का वजन 45 से 55 किलोग्राम तक होता है. इसके शरीर की ऊंचाई 65 से 70 सेंटीमीटर तक होती है. इस प्रजाति के मादा भेड़ों की ऊंचाई 60 सेंमी तक होती है. यह कम चारा खाती है पर इसके बावजूद इनका वजन अधिक होता है. 

ये भी पढ़ेंः क्या बालम खीरा के बारे में जानते हैं आप? कई बीमारियों में दिलाता है राहत

कम चारा खाकर अच्छा दूध देती है मल्लनी भेड़

मल्लनी भेड़ की प्रजाति का पालन राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिले में सबसे अधिक होता है. इस नस्ल की भेड़ का वजन 45-55 किलोग्राम तक होता है. इनके शरीर की ऊंचाई 55 से 65 सेंटीमीटर तक होती है. इस प्रजाति की भेड़ का रंग भूरा होता है और इनका शरीर भी काफी मजबूत होता है. साथ ही ये काफी मजबूत और स्वस्थ होते हैं. इस प्रजाति के खासियत यह होती है कि यह कम चारा खाकर भी अधिक दूध देते हैं. इन भेड़ों की पाचन शक्ति बहुत अच्छी होती है. इनका पालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.