गर्मियों का मौसम शुरू हो रहा है. इस मौसम में खीरे की खेती की जाती जाती है और खीरे की मांग भी अधिक होती है. इस सीजन में खीरे की खेती करने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. खीरे की खेती गर्मियों में इसलिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह कम समय में तैयार हो जाती है और इसकी खेती में अधिक लागत भी नहीं आती है. खीरे की खेती करने के 45 से 50 दिन के अंदर ही किसान इसकी तुड़ाई करके बाजार में बेच सकते हैं. इसके बाद फिर जैसे-जैसे पौधों का विकास होता है उसी प्रकार से खीरे का उत्पादन भी बढ़ता है. अगर सही तरीके से खीरे की खेती की जाए तो एक प्रति एकड़ में अच्छी पैदावार हासिल होती है.
आम तौर पर खीरा लता वाला पौधा होता है. पर आज हम आपको ऐसे खीरे के बारे में बताएंगे जिसका पौधा बेल वाला नहीं होता है. यह खीरा पेड़ वाला खीरा होता है. इस खीरे का नाम बालम खीरा है. इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाता है. पूरी तरह से विकसित हो जाने पर इस पेड़ की ऊंचाई 15-20 मीटर तक हो जाती है. इन पेड़ों में ही फल की तरह खीरा उगते हैं. यह खीरा की तरह ही दिखाई देते हैं, जिसे बालम खीरा कहा जाता है. यह मूल रूप से पश्चिम अफ्रीका का फल है. इसकी खेती के लिए उष्ण कटबंधीय जलवायु की जरूरत होती है.
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भारत में यह पेड़ कई राज्यों में पाया जाता है. देश के कई राज्यों में किसान इसकी खेती करते हैं. इस फल में औषधीय गुण होते हैं. इसका सेवन लाभकारी माना जाता है. यह कि़डनी स्टोन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने में मदद करता है इसलिए किडनी स्टोन के लिए यह फायदेमंद हैं. साथ ही इसके सेवन से पेट की सफाई भी अच्छे से होती है. इसके सेवन से शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. इसके फूल का रंग लाल होता है और बाहर से पीले लाल रंग जैसा दिखता है. कच्चे फल और जूस के तौर पर इसका सेवन किया जाता है.
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लता वाले खीरा की बात करें तो इसकी खेती में अच्छी कमाई हासिल करने के लिए किसानों को अच्छी किस्म के खीते की खेती करनी चाहिए. खीरे की खेती के लिए सबसे पहले किसानों को यह पता करना चाहिए उनके आस-पास के स्थानीय बाजार में किस किस्म के खीरे की कीमत अच्छी मिलती है. किसानों को उसकी मांग और कीमत के आधार पर खीरे के किस्म का चयन करना चाहिए. साथ ही यह ध्यान देना चाहिए की खीरा कम अवधि में तैयार हो जाए और कीट और रोगों के प्रति प्रतिरोधन क्षमता होनी चाहिए.
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