चीकू देश में एक लोकप्रिय फल है. हालांकि, कीमत ज्यादा होने की वजह से यह अभी भी बहुत लोगों की पहुंच से दूर है. चीकू की खेती से किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं इसका जन्म स्थान मेक्सिको और मध्य अमेरिका में माना जाता है. चीकू के फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. इसमें विटामिन-बी, सी, ई और कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, मैंगनीज, फाइबर, मिनरल और एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. वहीं भारत में इसकी खेती प्रमुख रूप से कर्नाटक, तामिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में की जाती है.
मालूम हो कि चीकू में कई हानिकारक कीट और रोग भी लगते हैं. जिन पर सही समय पर नियंत्रण नहीं पाया जाए तो फसल को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में आइए चीकू में लगने वाले रोग और कीट के रोकथाम के बारे में विस्तार से जानते हैं-
पत्ते का जाला: चीकू के पेड़ पर पत्ते का जाला कीट लगने पर पत्तों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. जिससे पत्ते सूख जाते हैं और वृक्ष की टहनियां भी धीरे-धीरे सूख जाती हैं. जिससे बागवानों को काफी नुकसान होता है.
नियंत्रण: नई टहनियां बनने के समय या फलों की तुड़ाई के समय कार्बरील 600 ग्राम या क्लोरपाइरीफॉस 200 मि.ली. या क्विनलफॉस 300 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर 20 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.
कली की सुंडी: कली की सुंडी कीट पौधों के लिए काफी खतरनाक होता है. दरअसल, सुंडियां वनस्पति कलियों को खाकर नष्ट कर देती हैं.
नियंत्रण: क्विनालफॉस 300 मि.ली. या फेम 20 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
बालों वाली सुंडी: चीकू की फसल में ये कीट नई टहनियों और पौधे को अपना भोजन बनाकर नष्ट कर देते हैं. उत्पादकता काफी प्रभावित होती है.
नियंत्रण: क्विनालफॉस 300 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
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पत्तों पर धब्बा रोग: पत्तों पर धब्बा रोग गहरे जामुनी भूरे रंग के होते हैं जोकि मध्य में से सफेद रंग के होते हैं. ये फल के तने और पंखुड़ियों पर लंबे धब्बे रंग के रूप में देखे जा सकते हैं.
नियंत्रण: पत्तों पर धब्बा रोग होने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम को प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
तने का गलना: तने का गलना एक फंगस वाली बीमारी है जिसके कारण तने और शाखाओं के मध्य में से लकड़ी गल जाती है.
नियंत्रण: कार्बेन्डाजिम 400 ग्राम या Z-78 को 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
एंथ्राक्नोस: तने और शाखाओं पर, कैंकर के गहरे धंसे हुए धब्बे देखे जा सकते हैं और पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं.
नियंत्रण: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या एम-45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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