बासमती चावल के म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस पर केंद्र का रुख नरम, न‍िर्यातकों की बैठक बुलाई  

बासमती चावल के म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस पर केंद्र का रुख नरम, न‍िर्यातकों की बैठक बुलाई  

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को उम्मीद है क‍ि इस बैठक के बाद सरकार एमईपी में कुछ कमी कर सकती है. भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा बासमती चावल एक्सपोर्टर है. अब 1200 डॉलर प्रत‍ि टन के एमईपी के कारण भारत अपने बड़े ग्राहक आधार को खो सकता है.

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बासमती चावल के म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस पर केंद्र का रुख नरम, न‍िर्यातकों की बैठक बुलाई  क्या बासमती चावल का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस कम होगा?

बासमती चावल का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) 1200 अमेर‍िकी डॉलर प्रत‍ि टन करने के ख‍िलाफ राइस इंडस्ट्री के गुस्से को देखते हुए केंद्र का रुख थोड़ा नरम हुआ है. सरकार ने आज शाम 4:30 बजे राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की बैठक बुलाई है. इस बात की जानकारी पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने दी है. उम्मीद है क‍ि सरकार एमईपी में कुछ कमी कर सकती है. क्योंक‍ि न‍िर्यातकों का कहना है क‍ि एक्सपोर्ट होने वाली बासमती का 1200 अमेर‍िकी डॉलर प्रत‍ि टन दाम ही नहीं है. बताया गया है क‍ि दस न‍िर्यातक वाण‍िज्य मंत्रालय के अत‍िर‍िक्त सच‍िव से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे. क्योंक‍ि आरोप है क‍ि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले सरकार ने बासमती एक्सपोर्ट से जुड़े कारोबार‍ियों से कोई बात नहीं की थी.

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को उम्मीद है क‍ि इस बैठक के बाद सरकार एमईपी में कुछ कमी कर सकती है. भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा बासमती चावल एक्सपोर्टर है. इतने अध‍िक एमईपी के कारण भारत अपने बड़े ग्राहक आधार को खो सकता है. क्योंक‍ि अब तक निर्यातक 850 से 900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की औसत कीमत पर ही एक्सपोर्ट करते रहे हैं. ऐसे में 1200 डॉलर वाले फैसले से निर्यातकों को बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि वे अपने एक्सपोर्ट के पुराने कम‍िटमेंट को कैसे पूरा करें. 

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सौदों को रज‍िस्टर्ड करने से इनकार कर रहा एप‍िडा

एपीडा न‍िर्यातकों से 1200 अमेरिकी डॉलर से कम रेट के बासमती चावल के सौदों को रज‍िस्टर्ड करने से इनकार कर रहा है. जबक‍ि न‍िर्यातकों का कहना है क‍ि इस समय बासमती चावल का म‍िन‍िमन एक्सपोर्ट प्राइस 900 डॉलर प्रत‍ि टन से अधिक नहीं होना चाह‍िए. न‍िर्यातकों का कहना है क‍ि बासमती चावल पीडीएस में नहीं बंटता ऐसे में इसके एक्सपोर्ट पर इतनी बड़ी बाधा लगाने से देश का नुकसान होगा. बासमती एक्सपोर्ट के काम से जुड़े अशोक सेठी का कहना है क‍ि भारत में महज 2 फीसदी लोग ही एवन क्लास का बासमती खाते हैं. बाकी बासमती चावल एक्सपोर्ट हो जाता है. ऐसे में 1200 डॉलर वाले फैसले से हमारे एक्सपोर्ट को नुकसान हो सकता है.  

क‍ितना बड़ा है एक्सपोर्ट

भारत ने साल 2022-23 में बासमती चावल के एक्सपोर्ट का र‍िकॉर्ड बना द‍िया है. इस बार 38,523.54 करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट क‍िया, जो 2021-22 में स‍िर्फ 26,415.99 करोड़ रुपये ही था. बासमती चावल की इतनी मांग थी क‍ि एक ही साल में 45.83 फीसदी अधिक एक्सपोर्ट हुआ. न‍िर्यातकों का कहना है क‍ि भले ही बासमती चावल के निर्यात पर कोई रोक नहीं है फ‍िर 1200 डॉलर वाले फैसले से एक्सपोर्ट कम हो जाएगा. अभी जो सौदे हुए हैं वो 900 डॉलर प्रत‍ि टन के आसपास ही हुए हैं. यह फैसला वापस नहीं ल‍िया गया तो इसका फायदा पाक‍िस्तान उठाएगा. क्योंक‍ि बासमती के मामले में वो हमारा सबसे बड़ा प्रत‍िद्वंदी है. 

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