अयोध्या में राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा की जोर-शोर से तैयारी चल रही है. इस खास कार्यक्रम में देश भर के अलग-अलग हिस्सों से विशेष लोग आ रहे हैं. इतना ही नहीं रामायण काल से जुड़ी हर चीज को इस मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जोड़ा जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार से कोई भी कमी नहीं हो. राम से जुड़ी हर चीज इस समय अयोध्या पंहुच रही है. रामायण में शबरी माता का जिक्र होता है. जिसके जूठे बेर भगवान श्रीराम ने खाए थे. तो फिर ऐसे में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में माता शबरी के वंशज कैसे पीछे रहते. इस विशेष आयोजन में शामिल होने के लिए उनके वंशज भी अयोध्या के लिए निकल पड़े हैं.
माता शबरी के वंशज अपने साथ वही माता शबरी के आश्रम के मीठे बेर और धुनष-बाण लेकर आ रहे हैं. रामायण में माता शबरी से मिलने भगलान श्रीराम उनके आश्रम में गए थे. अब उनके वंशज श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अयोध्या आ रहे हैं. वो 14 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे और अयोध्या जाकर माता शबरी और भगवान श्रीराम के भक्तिमय मिलन का संदेश विश्व को देंगे. गौरतलब है कि रामायण में मारा शबरी और भगवान राम के मिलन का एक भावुक प्रसंग है, जब अपने वनवास के दौरान राम ने भीलनी माता शबरी के जूठे बेर खाए थे.
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भगवान राम को फिर से वही बेर उपहार स्वरुप भेंट करने के लिए माता शबरी के वंशज वहां के बेर लेकर अयोध्या के लिए निकल पड़े हैं. जो 14 जनवरी को अयोध्या पंहुचेंगे. त्रेतायुग में रामायण काल के दौरान दण्डकारण्य का जिक्र मिलता है. आज वर्तमना समय में उस हिस्से को डॉंग कहा जाता है. आज वह गुजरात का डॉंग जिला कहा जाता है. आज भी वहां पर शबरी माता का भव्य मंदिर हैं. इस मंदिर में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की मूर्ति के साथ टोकरी में बेर लिए हुए माता शबरी की मूर्ति भी है.
इस जगह तीन शिला है कहा जाता है कि इस पत्थर पर प्रभु राम, लक्षण और शबरी स्वयम बैठे थे. आनेवाली 22 जनवरी के दिन भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के दर्शन के लिए इस शबरी माता के मंदिर के आसपास से बेर लेकर शबरी के वंशज धनुष के साथ अयोध्या जाएंगे और प.पु. शंकराचार्य रामभद्राचार्यजीको सबरी माता की ओर से भगवान राम के चरणों में धनुष अर्पण करने के लिए देंगे. डांग से बेर और धनुष लेकर अयोध्या जा रहे इन आदिबासी भील समाज के शबरीमाता के वंशज को गुजरातके पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्णेश मोदी और स्वामी असीमानंद समेत डांग के लोगोने आशीर्वाद लेकर शबरी मंदिर से भेजने की जिम्मेदारी ली है. (रॉनक जानी की रिपोर्ट)
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