Raksha Bandhan 2023:  इस गांव में बन रही हैं स्वदेशी खेती का संदेश देने वाली राख‍ियां, नाम है 'बीज बंध' 

Raksha Bandhan 2023:  इस गांव में बन रही हैं स्वदेशी खेती का संदेश देने वाली राख‍ियां, नाम है 'बीज बंध' 

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थ‍ित परड़स‍िंहा गांव में बनने वाली हर ड‍िजाइन की राखी की अपनी एक कहानी है, ज‍िसे राखी के साथ ल‍िखा गया है. इस राखी में जो कुछ भी लगा हुआ है वो इसी गांव में पैदा हुआ है. जान‍िए क्यों खास है यहां बना रक्षाबंधन? 

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Raksha Bandhan 2023:  इस गांव में बन रही हैं स्वदेशी खेती का संदेश देने वाली राख‍ियां, नाम है 'बीज बंध' देसी कपास से बना रक्षाबंधन (Photo-Kisan Tak).

भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार रक्षाबंधन नजदीक आ गया है. बहन अपने भाईयों के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधेंगी. इस पर्व पर रक्षासूत्र का सबसे ज्यादा महत्त्व है, जो कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे और सोने, चांदी जैसी मंहगी चीजों की हो सकती है. लेक‍िन राखी अगर ऐसी हो ज‍िसमें खेती-क‍िसानी, स्वदेशी बीजों और मह‍िलाओं के उत्थान से जुड़ी हो तो कैसा लगेगा. ऐसी राखी भाई-बहन के इस पावन त्योहार को और महत्वपूर्ण बना देगी. ऐसी ही एक कोश‍िश छ‍िंदवाड़ा के पास मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर स्थ‍ित परड़स‍िंहा गांव में चल रही है. ज‍िसमें बनने वाली राख‍ियां स्वदेशी बीजों के संरक्षण और केम‍िकल फ्री खेती का संदेश दे रही हैं. हर राखी में बीज है. 

इस म‍िशन को बढ़ाने वाली श्वेता ने बताया क‍ि इस गांव में बनने वाली हर ड‍िजाइन की राखी की अपनी एक कहानी है, ज‍िसे राखी के साथ ल‍िखा गया है. इस राखी में जो कुछ भी लगा हुआ है वो इसी गांव में पैदा हुआ है. यहां इस बार 70 हजार राखी बनाई गई थीं. ज‍िसमें से अध‍िकांश ब‍िक गई हैं. हर राखी में स्वदेशी बीज लगा हुआ है. जो धागा लगा है वो देशी कॉटन से बना धागा है. जो कागज लगा है वो फसलों के वेस्ट मैटीर‍ियल से बनाया गया है. यानी इस गांव के लोग पराली जैसी फसल वेस्ट को जलाते नहीं है बल्क‍ि उससे कुछ न कुछ बनाकर उसे बेचते हैं. 

मल्टीक्रॉप‍िंग का संदेश दे रहे इस गांव के लोग 

ये लोग इस गांव में मल्टीक्रॉप‍िंग करते हैं. यानी एक ही फसल की बुवाई नहीं करते. खेती के मोनो कल्चर को नहीं बढ़ाते. बीटी कॉटन का इस्तेमाल नहीं करते. यहां के क‍िसानों का मानना है क‍ि बीटी की वजह से उनकी न‍िर्भरता मल्टीनेशनल कंपन‍ियों पर बढ़ रही है. इसल‍िए देसी कपास की खेती करके, उसके धागे को नेचुरल रंगों से रंगाई करते हैं. धागा चरखे से बनाते हैं. कम से कम 250 ग्रामीण औरतें यह काम कर रही हैं. यहां की बनी राखी को आप बीज पत्र या बीज बंध बोल सकती हैं. तो अगर आप नेचर से जुड़ी हुई हैं तो बेशक अपने भाई की कलाई पर खेती के ल‍िए संदेश देने वाली राखी बांध सकती हैं.  

महिलाएं कपास के बीज से राखी बनाती हुई
महिलाएं कपास के बीज से राखी बनाती हुई

कौन करता है यह अनोखा काम? 

कुछ लोग म‍िलकर 'ग्राम आर्ट' के नाम से ग्रुप चलाते हैं. इसमें कुछ किसान, कलाकार और महिलाएं शाम‍िल हैं. ये अलग-अलग विचारों और पहचान वाले लोग हैं. लेकिन वह विचार और पहचान जो इन सभी को जोड़ती है और हमें सामूहिक बनाती है, वह यह है कि ये सभी एक गांव में और उसके आसपास रह रहे हैं और काम कर रहे हैं. खेती के बारे में चिंतित हैं. ये लोग कलाकृतियां भी बनाते हैं. साथ ही गैर-जीएम (आनुवंशिक रूप से संशोधित) और बौद्धिक संपदा अधिकार मुक्त गैर-संकर स्वदेशी कपास से बने यार्न की कलाकृतियों को तैयार करते हैं. यह पूरा ग्रुप एक ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट चलाकर खेती से जुड़े मुद्दों को त्यौहारों में प‍िरोकर आगे बढ़ा रहा है. इसी कड़ी में स्वदेशी बीजों वाली राखी भी आई है.
 

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