पंजाब के जालंधर जिले में अभी गेहूं की कटाई ठीक से शुरू भी नहीं हुई है और पराली जलाने के मामले सामने आने लगे हैं. हालांकि कृषि विभाग ने सैटेलाइट के जरिए मामलों का अवलोकन किया है. जिले में अभी तक पराली जालने के 7 मामले सामने आ चुके हैं. जिन ब्लॉकों से मामले सामने आए हैं, उनमें आदमपुर, जालंधर पश्चिम, जालंधर पूर्व, नूरमहल और भोगपुर का नाम शामिल है. विभाग के अधिकारियों के लिए पराली जलाने पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पराली जलाने के मामलों में कमी आने की बजाय हर साल बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले साल गेहूं कटाई के बाद जिले में पराली जलाने के 500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. वहीं, साल 2022 में करीब 555 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में जिले से सिर्फ 33 मामले सामने आए थे. दो साल के भीतर मामलों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. पहले, सरकार केवल धान के अवशेष जलाने को लेकर चिंतित थी, लेकिन अब गेहूं के अवशेष जलाने से भी संबंधित अधिकारियों को परेशानी हो रही है.
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करतारपुर तहसील के बाजरा गांव के किसान भी पराली जलाते थे, लेकिन पिछले पांच साल से यहां पराली जलाने का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि कई वर्षों से गांव से पराली जलाने का कोई मामला सामने नहीं आया है. सरपंच अविनाश कुमार ने भी किसानों को पराली न जलाने को लेकर किसानों का काफी जागरूक किया है. उनका कहना है कि मैं पराली जलाने के खिलाफ हूं. यदि कोई अपने कृषि अवशेष जलाने का प्रयास करता है तो मैं विभाग व पुलिस को सूचना देता हूं.
हालांकि, समय के साथ किसानों ने अब इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि पराली जलाना अपराध है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है. समस्या से निपटने के लिए कृषि विभाग ने कई वर्षों से पराली जलाने से परहेज करने वाले किसानों के वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करने की पहल की है. इन किसानों की संपर्क जानकारी भी साझा की गई है, ताकि जो लोग पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों को अपनाना चाहते हैं, वे उन किसानों के साथ चर्चा कर सकें जो पहले से ही इसका पालन कर रहे हैं. कृषि विभाग ने यूट्यूब चैनल 'सफल किसान' पर भी वीडियो अपलोड किया है.
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