पंजाब में पराली का मुद्दा अभी जोरो शोरों पर है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद भी यहां पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. दरअसल, पंजाब में पिछले पांच दिनों में पराली जलाने की 27 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि अलग-अलग जिलों में धान की पराली जलाने न जलाने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को पंजाब सरकार से पूछा था कि कड़ा संदेश देने के लिए पराली जलाने में शामिल कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए.
अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए जल्दी से पराली को खेतों में ही जला देते हैं.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से चार जिलों में पराली जलाने की कुल 27 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें अमृतसर में सबसे ज़्यादा 18 घटनाएं दर्ज की गई है. इसके बाद तरनतारन में पांच, पटियाला में तीन और फिरोजपुर में एक घटना शामिल है. वहीं, पीपीसीबी के अनुसार, पराली जलाने वाले किसानों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. बता दें कि 15 सितंबर से शुरू हुई पराली जलाने की घटनाओं की रिकॉर्डिंग 30 नवंबर तक जारी रहेगी.
इस बीच, संगरूर, तरनतारन, फिरोजपुर, मोगा, बठिंडा और बरनाला के कई गांवों को खेतों में आग लगने की घटनाओं के आधार पर पराली जलाने के हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि हॉटस्पॉट गांवों के किसानों से पराली न जलाने की अपील की जाएगी और उन्हें पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा.
अधिकारी ने बताया कि किसानों को धान की पराली का प्रबंधन इन-सीटू (खेतों में पराली मिलाना) और एक्स-सीटू (ईंधन के रूप में पराली का उपयोग करना) दोनों तरीकों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. संगरूर जिले में, जिला प्रशासन ने पराली जलाने के बारे में एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसके तहत पाँच मोबाइल वैन 18 दिनों तक 397 गांवों का दौरा करके किसानों से पराली न जलाने की अपील करेंगी.
संगरूर के उपायुक्त राहुल चाबा ने कहा कि धान की कटाई के बाद, किसी भी किसान को पराली में आग नहीं लगानी चाहिए. किसानों को अपने खेतों में पराली की जुताई करके खुद को प्रकृति प्रेमी साबित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि संगरूर जिले में किसानों के लिए कई कृषि मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं. चाबा ने कहा कि अगर कोई किसान पराली प्रबंधन के लिए कृषि मशीन किराए पर लेना चाहता है, तो वह मशीनों की उपलब्धता की जानकारी के लिए आई-खेत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकता है.
संगरूर के मुख्य कृषि अधिकारी धर्मिंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है, क्योंकि जलने से सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. सिद्धू ने कहा कि अगर किसान अपने खेतों में पराली की जुताई करते हैं, तो वे कई मूल्यवान तत्वों और कार्बनिक पदार्थों का संरक्षण करते हैं, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और रासायनिक उर्वरकों की लागत बचती है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्थायी कृषि तकनीकों को बढ़ावा दे रही है. धान की पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए धान की पराली के प्रभावी प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की है.
इस बीच अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य भर के किसानों से प्राप्त कुल 16,837 आवेदनों में से अब तक 15,613 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों को मंजूरी दी है. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी में सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, श्रेडर, मल्चर, हाइड्रोलिक रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड हल और जीरो टिल ड्रिल शामिल हैं.
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने पहले किसानों से धान की पराली जलाने से बचने का आह्वान किया था, क्योंकि उन्होंने पर्यावरण, वायु गुणवत्ता और मिट्टी के स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों का हवाला दिया था. उन्होंने पंजाब के कृषि भविष्य और जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकार द्वारा प्रवर्तित स्थायी पद्धतियों, जिनमें स्थानीय प्रबंधन समाधान भी शामिल हैं उसको अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.
प्रशासनिक सचिव (कृषि और किसान कल्याण) बसंत गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के कारण, राज्य में पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है. राज्य में 2024 में कुल 10,909 पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. (PTI)
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