मेरठ जिला जेल में बंद कैदी मुस्कान और साहिल को शनिवार को जेल मैनुअल के अनुसार काम आवंटित किया गया. दोनों ने अपनी रुचि के अनुसार जेल के अंदर काम करने की इच्छा जताई, जिसे जेल प्रशासन ने मंजूरी दे दी. जिसमें मुस्कान सिलाई-कढ़ाई का काम करेगी, जबकि साहिल खेती करेगा. जिसके लिए उसे रोज 50 रुपये मिलेंगे.
जेल में बंद मुस्कान ने सिलाई-कढ़ाई सीखने की इच्छा जताई है. जेल प्रशासन के मुताबिक, उसे कपड़े सिलने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वह इस हुनर में पारंगत हो सके. सिलाई-कढ़ाई की यह ट्रेनिंग उसे जेल के अंदर ही दी जाएगी. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह तरह-तरह के कपड़े सिल सकेगी, जिससे यह हुनर भविष्य में उसके लिए रोजगार का अवसर भी बन सकता है.
साहिल ने खेती करने की इच्छा जताई है. उसकी रुचि को ध्यान में रखते हुए उसे सब्जियां और फल उगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस दौरान वह जेल परिसर में स्थित खेतों में काम करेगा. उसके द्वारा उगाई गई सब्जियां जेल में बंद अन्य कैदियों के खाने में इस्तेमाल की जाएंगी.
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जिला जेल मेरठ के वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि जेल नियमों के अनुसार किसी भी कैदी को 10 दिन की सजा पूरी होने के बाद काम आवंटित किया जाता है. मुस्कान और साहिल दोनों ही 1 अप्रैल से अपना चुना हुआ काम शुरू कर देंगे. यह प्रक्रिया जेल सुधार व्यवस्था का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कैदियों को हुनर सिखाना और उन्हें व्यस्त रखना है. जेल में कैदियों के लिए तीन तरह के काम निर्धारित किए गए हैं-
1. स्किल्ड वर्क (प्रशिक्षित कार्य)
2. नॉन-स्किल्ड वर्क (अप्रशिक्षित कार्य)
3. ट्रेनिंग (प्रशिक्षण कार्य)
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साहिल को गैर-कुशल श्रमिक का काम सौंपा गया है, जिसके तहत उसे खेती का प्रशिक्षण मिलेगा. इस दौरान उसे 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाएगी. हालांकि, अगर वह खेती नहीं कर पाता है तो उसे कोई दूसरा काम दिया जाएगा या फिर किसी अन्य तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी.
वहीं मुस्कान ने सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण चुना है, जिसे जेल मैनुअल में श्रम कार्य की श्रेणी में नहीं रखा गया है. इसलिए उसे प्रशिक्षण के दौरान कोई मजदूरी नहीं मिलेगी. जब वह सिलाई-कढ़ाई का काम पूरी तरह सीख लेगी और कपड़े सिलने लगेगी, तब उसे वेतन देने की व्यवस्था की जा सकेगी.
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