उत्तर प्रदेश ने हाल ही में एक उपलब्धि हासिल की है. यह उपलब्धि है फसल अवशेष यानी पराली जलाने के मामले में देश में सबसे अग्रणी राज्य बनना. ये बात आपको भले ही व्यंग्य लगे, लेकिन आंकड़े इस बात के गवाह हैं. दरअसल, ये उपलब्धि यूपी ने पंजाब को पीछे छोड़कर हासिल की है. इससे पहले पंजाब कई वर्षों तक पराली जलाने के मामले में सबसे आगे रहा है. सितंबर-अक्टूबर 2025 के डेटा के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले इसमें काफी इजाफा हुआ है. बता दें कि ये इजाफा तब हुआ है जब राज्य सरकार ने पराली जलाने को लेकर कड़े नियम बनाए हुए हैं. इसमें जुर्माना और नियमों का पालन करने तक जैसे नियम शामिल हैं. लेकिन इसके बाद भी इसमें कोई कमी नहीं आ रही है.
कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रो इकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS) के डेटा से पता चलता है कि यूपी में 2025 में अभी तक यानी 15 सितंबर से 22 अक्टूबर तक पराली जलाने के 704 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, पंजाब में इस साल का आंकड़ा 484 है. इसके अलावा पंजाब का पड़ोसी राज्य हरियाणा में मात्र 58 और देश की राजधानी दिल्ली में 3 मामले दर्ज हुए हैं. साथ ही राजस्थान में 292 और मध्य प्रदेश में 378 मामले सामने आए हैं.
इस साल धान की कटाई शुरू होते ही यूपी के किसान बड़े पैमाने पर पराली जला रहे हैं. इस मामले में मथुरा जिले के किसानों का योगदान सबसे अधिक है. सरकारी कार्रवाई को अनसुना करते हुए मथुरा से 75 मामले सामने आए हैं. इसके बाद पीलीभीत में 53, शाहजहांपुर में 52, बाराबंकी में 51 और फतेहपुर से 40 मामले सामने आए हैं.
पिछले साल इसी समय यूपी में 740 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 540 था, जो इस साल की संख्या से करीब तीस गुना ज्यादा है. वहीं, 2022 में ये आंकड़ा 222 था. अब बात करें पंजाब की तो सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास और किसानों की जागरुकता का असर इस साल के आंकड़ों में भी देखने को मिल रहा है. पिछले साल इसी समय पंजाब में 1581 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 1794 था. वहीं, 2022 में ये आंकड़ा 3696 था. यानी पंजाब में पिछले तीन साल में लगातार भारी मात्रा में पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आई है.
उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए योगी सरकार ने इस बार फिर से सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के मुख्य सचिव एसपी गोयल ने कहा कि पराली और फसल अपशिष्ट जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है. पराली जलाने की घटनाओं की सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जा रही है. उन्होंने जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से इस संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान देने और संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
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