प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को किसानों से केवल गेहूं और चावल की फसलों तक ही सीमित न रहने की अपील की है. पीएम ने इस दौरान भोजन में पोषण के महत्व पर ज़ोर दिया और किसानों से कहा कि ऐसा भोजन उगाएं जिसे दुनिया भर में बेचा जा सके. पीएम मोदी ने 6 साल की अवधि में ₹35,440 करोड़ के संयुक्त परिव्यय वाली दो प्रमुख योजनाओं का शुभारंभ करते हुए कहा कि आयात कम करें, ऐसे खाद्य पदार्थ पैदा करें जो भारत से बाहर के लोगों के घरों तक पहुंच सकें. उन्होंने कहा कि शाकाहारी आबादी को प्रोटीन प्रदान करने में दालें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिसके लिए देश को आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री ने किसानों से अन्य फसलों की खेती में विविधता लाने की अपील करते हुए कहा कि आटा, चावल (गेहूं और धान की फसलों के संदर्भ में) खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, लेकिन हमें इससे आगे बढ़ना होगा, क्योंकि पोषण सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. इस बात पर जोर देते हुए कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्होंने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए पिछले 11 सालों में उठाए गए विभिन्न कदमों पर प्रकाश डाला.
पीएम ने कहा कि भारत का कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है, खाद्यान्न उत्पादन में 90 मिलियन टन (एमटी) की वृद्धि हुई है, और 2014 से फलों और सब्जियों का उत्पादन 64 मिलियन टन बढ़ा है. उन्होंने याद दिलाया कि हाल ही में माल और सेवा कर (जीएसटी) दरों में कमी से ग्रामीण भारत और किसानों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है, ट्रैक्टर जैसी कृषि मशीनरी की कीमतें कम हो गई हैं, यहां तक कि उनके कार्यकाल के दौरान 2017 में जीएसटी भी शुरू किया गया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए 11,440 करोड़ रुपये के मिशन का उद्देश्य 2030-31 फसल वर्ष (जुलाई-जून) तक दलहन उत्पादन को मौजूदा 25.24 मिलियन टन (एमटी) से बढ़ाकर 35 मिलियन टन करना और आयात को कम करना है, जो 2024-25 में रिकॉर्ड 6.9 मिलियन टन तक पहुंच गया.
आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता से प्रेरित होकर जुलाई में स्वीकृत 24,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना भी प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई, जिसका उद्देश्य कम प्रदर्शन करने वाले 100 जिलों में फसल की पैदावार को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाना है. हालांकि प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के लिए कोई अलग बजट नहीं है, लेकिन यह उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने, सिंचाई और भंडारण में सुधार करने और विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं को मिलाकर उन 100 जिलों में ऋण पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
दिल्ली के पूसा में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि अवसंरचना निधि के अंतर्गत 3,650 करोड़ रुपये की 1,054 परियोजनाओं, पशुपालन से संबंधित 1,166 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं, मत्स्य पालन से संबंधित 693 करोड़ रुपये की 16 परियोजनाओं और खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत 808 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं के शुभारंभ व शिलान्यास की भी घोषणा की.
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