केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने शनिवार को दावा किया कि अगर लोगों को जंगली सूअरों का मांस खाने की अनुमति दी जाए, तो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जंगली सूअरों के बढ़ते खतरे से और अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है. इस तटीय जिले में पालामेल ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, प्रसाद ने कहा कि मौजूदा केंद्रीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता है. बता दें कि केरल के कई स्थानीय निकायों के किसान जंगली सूअरों के हमलों के कारण फसल के नुकसान से परेशान हैं.
पालामेल ग्राम पंचायत में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने दावा किया कि मेरी राय में, लोगों को खेतों में मारे गए जंगली सूअरों का मांस खाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि अगर लोगों को जंगली सूअरों को मारने और उनका मांस खाने की अनुमति मिल जाए, तो यह समस्या बहुत तेजी से सुलझ सकती है. लेकिन मौजूदा कानून इसकी इजाजत नहीं देता. मंत्री ने यह भी बताया कि जंगली सूअर कोई लुप्तप्राय प्रजाति नहीं है.
प्रसाद का यह बयान केरल विधानसभा द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन के लिए विधेयक पारित किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसका उद्देश्य राज्य में मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को कम करना है. बता दें कि केरल विधानसभा ने बुधवार को राज्य में मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति में पारित किया गया, जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में सोने की परत चढ़ाने के विवाद को लेकर सदन का बहिष्कार किया था. अब इसे राजभवन भेजा जाएगा, जो इसे राष्ट्रपति के पास भेजेगा, क्योंकि यह एक केंद्रीय कानून से संबंधित है.
विधानसभा में वन्यजीव संरक्षण विधेयक, 2025 पर बहस के दौरान बोलते हुए, केरल के वन मंत्री ए.के. ससीन्द्रन ने विधानसभा को बताया कि राज्य सरकार केंद्रीय अधिनियम में अपना संशोधन लाने के लिए बाध्य हुई है, क्योंकि केंद्र सरकार से समय पर बदलाव के लिए बार-बार अनुरोध करने पर भी कोई सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि मानव-पशु संघर्ष एक ऐसा मुद्दा है जो राज्य की एक-तिहाई आबादी के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है. (सोर्स- PTI)
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