मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित करने के लिए कलेक्टर्स को टारगेट दिया है. सीएम ने कहा है कि सरकार का मूल लक्ष्य प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देना और कृषि फसलों की तुलना में उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाना है. सीएम ने सभी कलेक्टर्स को अपने-अपने जिलों में 100-100 किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने का टास्क दिया है. इसके साथ ही सभी जिलाधिकारी इन किसानों को उपज विक्रय के लिये मार्केट भी उपलब्ध कराएंगे.
इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टर को कृषि उपज मंडी में सोयाबीन फसल की नीलामी पर सघन निगरानी रखने और भावान्तर योजना से किसानों को लाभान्वित करने के निर्देश दिये. मुख्यमंत्री यादव मंगलवार को कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस-2025 के पहले सत्र 'कृषि एवं संबद्ध सेक्टर्स' को संबोधित कर रहे थे. सीएम मोहन यादव ने कहा कि किसानों को परंपरागत खेती से शिफ्ट कर उद्यानिकी, दुग्ध उत्पादन एवं मत्स्य पालन जैसे आमदनी बढ़ाने वाले कार्यों की ओर लेकर जाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में केला, संतरा, टमाटर और अन्य उद्यानिकी की फसलें बड़ी मात्रा में होती हैं. हमें इनके स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण एवं बड़े बाजारों तक मार्केटिंग की व्यवस्था भी करनी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों में उर्वरक की खपत सिर्फ वैज्ञानिक आधार पर ही होनी चाहिए. यदि नहीं हो रही है तो इस पर नियंत्रण जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कलेक्टर्स अपने-अपने जिलों में साप्ताहिक मार्केट, हाट बाज़ारों में प्राकृतिक एवं जैविक खेती की उपज का विक्रय सुनिश्चित करें. साथ ही किसानों को नकद फसलों की खेती के लिए समझाइश देकर प्रोत्साहित करें. इसके लिए अभियान चलाएं. उन्होंने कहा कि सभी कलेक्टर जिलों में किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर उसका रिकार्ड रखें और उनकी प्राकृतिक खेती के लाभों का अध्ययन भी करें.
सीएम यादव ने कहा कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों अर्थात् बागवानी को बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने गुना जिले में गुलाब की खेती किए जाने की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां के किसानों ने बड़ा ही प्रगतिशील कदम उठाया है. प्रदेश के सभी धार्मिक शहरों में भी गुलाब की खेती को बढ़ावा दिया जाये, जिससे गुलाब उत्पादन की खपत स्थानीय स्तर पर किया जा सके.
इस सत्र में प्राकृतिक खेती के प्रचार, जलवायु अनुकूल फसलों, उद्यानिकी फसलों के उत्पादन, उत्पादकता केंद्रित क्लस्टर, सूक्ष्म सिंचाई, मत्स्य पालन के लिए केज कल्चर और सेलेक्टिव ब्रीडिंग, फसल अवशेष प्रबंधन, खाद एवं बीज व्यवस्था, सोयाबीन के लिए भावांतर भुगतान योजना, दुग्ध उत्पादन और गौशाला प्रबंधन जैसे विषयों पर कृषि उत्पादन आयुक्त ने विस्तृत प्रेजेंटेशन दी.
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