महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के भद्रावती तहसील कार्यालय में 26 सितंबर 2025 को जहर खा लेने वाले किसान की मौत हो गई. पिछले 11 दिनों से इलाज चल रहा था, जिसके बाद उनका निधन हो गया. दरअसल, किसान परमेश्वर ईश्वर मेश्राम ने आत्महत्या से पहले एक पत्र लिखा था, जिसमें परमेश्वर ने लिखा था कि तहसील कार्यालय में लगातार जाने पर भी काम नहीं हुए अधिकारियों को पैसे भी दिए फिर भी काम नहीं हुआ इसलिए परेशान होकर आत्महत्या का कदम उठाया है. साथ ही किसान ने पत्र में सांसद धानोरकर परिवार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. पत्र में लिखा है कि दिवंगत सांसद बालू धानोरकर को 2005 में जमीन बेची थी. धानोरकर ने उसे तीन चेक दिए थे लेकिन वो बाउंस हो गए और जमीन भी अपने नाम कर ली थी.
किसान की मौत इलाज के दौरान 6 अक्टूबर को हो गई, जिसके बाद अब पीड़ित परिवार अपने साथ हुए अन्याय को लेकर मीडिया के सामने आया और सीधे धानोरकर परिवार पर धोखे से जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे हैं. परिवार ने तीन दिनों तक शव को मर्चुरी में रखा और न्याय मिलने तक शव को नहीं उठाने की चेतावनी दी. वहीं, जिला कलेक्टर के आश्वासन देने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.
किसान के परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है, मृतक किसान की पत्नी वंदना मेश्राम ने बताया की जमीन के कागजात पर नाम चढ़ाने के लिए तहसीलदार और कार्यालय के अधिकारियों को लाखों रुपये दिए , जिसके लिए उन्हें घर बेचना पड़ा. आज वो किराये के घर में रहती हैं, मजदूरी कर घर चलाती हैं. मृतक किसान की पत्नी वंदना ने बताया कि धानोरकर ने चेक बाउंस होते ही ये जमीन अपने भाई अनिल धानोरकर को बेच दी थी. अब अनिल धानोरकर का कहना है कि उन्होंने मृतक किसान से कोई जमीन नहीं लिया है. ये जमीन उन्होंने अपने भाई से खरीदी थी.
इस मामले में हमने फ़ोन पर दिवंगत सांसद बालू धानोरकर की पत्नी सांसद प्रतिभा धानोरकर से बात की तो उन्होंने बताया की सभी आरोप निराधार हैं. मामला 2005 का है तो अभी तक ये परिवार चुप क्यों था. हमने पूरे रुपये देकर ही जमीन खरीदी थी , जो चेक बाउंस हुए है उसके बदले हमने नगद रुपये दिए थे. इस मामले में जिलाधिकारी जो भी निर्णय लेंगे उसे वे मान्य करेंगी. किसी के बहकावे में आकर किसान का परिवार ऐसे आरोप लगा रहा है.
किसान की आत्महत्या के बाद जिला प्रशासन और राजस्व विभाग में हलचल मच गई है. दरअसल, पैतृक जमीन के नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया वर्षों से लंबित थी, अदालत ने पैतृक जमीन के दस्तावेजों पर सभी वारिसों के नाम चढाने के आदेश भी दिए थे. इसके बावजूद तहसील कार्यालय की और से अनदेखी की जा रही थी, लेकिन अब किसान ने तहसील कार्यालय में जहर खाकर आत्महत्या के बाद प्रशासन की ओर से आनन फानन में कर्तव्य में लापरवाही मानते हुए भद्रावती के तहसीलदार राजेश भांडारकर और नायब तहसीलदार सुधीर खांडरे को निलंबित कर दिया गया है.
फिलहाल जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने पीड़ित परिवार को न्याय देने के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ है. इस विषय में फ़िलहाल जिलाधिकारी ने बोलने से मना कर दिया है. पुलिस जांच अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया की मर्ग क्रमांक 65/25, कलम 124 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है, मामला पेचीदा है, पूरी जांच के बाद ही असलियत सामने आएगी लेकिन तहसील कार्यालय में किसान की आत्महत्या और सीधे सांसद पर आरोप के कारण मामले ने तूल पकड़ा है और चर्चा का विषय बना हुआ है. (विकास राजुरकर की रिपोर्ट)
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