धान कटाई सीजन के बीज पंजाब में बंद हुआ ये बायोमास प्लांट, 50,000 एकड़ की पराली अब कौन खरीदेगा?

धान कटाई सीजन के बीज पंजाब में बंद हुआ ये बायोमास प्लांट, 50,000 एकड़ की पराली अब कौन खरीदेगा?

पंजाब के मुक्तसर जिले में गुलाबेवाला गांव का बायोमास प्लांट बंद हो गया है. हाल ही में पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड ने बिजली खरीद दरों में भारी कटौती की है जिसके बाद इस प्लांट का परिचालन मुश्किल हो गया है. ऐसे में इस प्लांट के बंद होने से अब करीब 50,000 एकड़ की पराली प्रबंधन का संकट पैदा हो गया है.

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धान कटाई सीजन के बीज पंजाब में बंद हुआ ये बायोमास प्लांट, 50 हजार एकड़ की पराली अब कौन खरीदेगा?अपने खेतों में सड़ते हुए पराली के ढेर के साथ एक किसान (फोटो- India Today/Sandeep Sahdev)

दिवाली के आसपास पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है. इसके चलते पंजाब के मुक्तसर जिले में बेलर मालिक चिंतित हैं, क्योंकि गुलाबेवाला गांव में बायोमास प्लांट ने पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) द्वारा बिजली खरीद दरों में भारी कटौती का हवाला देते हुए अपना परिचालन बंद कर दिया है. ये प्लांट बंद होने से ज़िला प्रशासन भी टेंशन में आ गया है, जिसने हाल ही में खेतों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं की आशंका के बीच एक बैठक की थी. 

50,000 एकड़ की पराली खरीद रहा था प्लांट

धान की कटाई के दौरान, भारी नुकसान की आशंका से बेलर मालिकों ने कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां से मुलाकात की और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की. अंग्रेजी वेबसाइट 'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुलाबेवाला बेलर यूनियन के अध्यक्ष सुखचैन सिंह मान ने कहा कि मंत्री ने सोमवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन दिया है. 20-25 गांवों के किसान और बेलर मालिक परेशान हैं क्योंकि प्लांट लगभग 50,000 एकड़ से उत्पन्न धान के अवशेषों को खरीद रहा था, जिससे खेतों में आग लगने की घटनाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण मदद मिल रही थी. बता दें कि 2005 में चालू किए गए 6 मेगावाट के इस संयंत्र का पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के साथ 20 साल का विद्युत क्रय समझौता (पीपीए) था, जिसे 10 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता था.

8.60 रुपये प्रति यूनिट से घटकर हुई 3.50 रुपये

इस प्लांट के एक अधिकारी ने कहा कि पीपीए अप्रैल 2025 में समाप्त हो चुका है. 5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की शर्त के साथ, जो बिजली दर 3.50 रुपये से बढ़कर 8.60 रुपये प्रति यूनिट हो गई थी, उसे अब वापस 3.50 रुपये पर निर्धारित किया जा रहा है. इससे प्लांट को चला पाना अव्यावहारिक हो गया है. बता दें कि मुक्तसर जिले में वर्तमान में दो अन्य बायोमास प्लांट हैं - चन्नू गांव में 14.5 मेगावाट की एक इकाई और रूपाणा गांव में एक पेपर मिल में 44 मेगावाट की एक इकाई है. पड़ोसी फाजिल्का के गद्दन डोब गांव में 8 मेगावाट का एक और संयंत्र भी चालू है.

गिर सकते हैं पराली खरीद के दाम

सूत्रों की मानें तो इन तीन में से दो संयंत्र अपने पीपीए पर स्थगन आदेशों के तहत चल रहे थे. बेलर मालिकों को डर है कि अगर केवल एक इकाई चालू रही, तो इससे एकाधिकार स्थापित हो सकता है और पराली खरीद की दरें, जो वर्तमान में 160 रुपये से 170 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है और भी कम हो सकती हैं.

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