महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अभी हाल में फसल लोन माफी देने से इनकार कर दिया. इसके बाद पूरे प्रदेश में राजनीतिक गरमा गई है. विपक्ष सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया है. महाराष्ट्र सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत गठबंधन "गजनी सिंड्रोम" से ग्रस्त है और अगले बुआई सीजन से पहले किसानों के लिए लोमाफी की मांग की.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि महायुति के सहयोगियों ने चुनाव प्रचार के दौरान किसानों को लोमाफी देने और महिलाओं के लिए वजीफा 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने अपना रुख बदल दिया.
सपकाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "बुआई सीजन से पहले किसानों को लोन माफी दी जानी चाहिए. अगर इस तथाकथित ट्रिपल इंजन वाली सरकार में कोई विश्वसनीयता बची है, तो उसे केंद्र से विशेष पैकेज हासिल करना चाहिए." उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में किए गए वादों के मामले में महायुति के रुख में "अचानक बदलाव" से पता चलता है कि उनके नेता "गजनी सिंड्रोम" से पीड़ित हैं, जो 2008 की एक फिल्म में दिखाया गया है, जिसका हीरो बात भूलने की बीमारी से पीड़ित है.
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अजित पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र की मौजूदा वित्तीय स्थिति फसल लोन माफी की अनुमति नहीं देती है और किसानों से इस संबंध में घोषणा का इंतजार करने के बजाय समय पर किस्तों का भुगतान करने को कहा.
सपकाल ने कहा, "उन्होंने 31 मार्च से पहले लोन चुकाने का आदेश जारी किया है. यह अचानक बदलाव बताता है कि महायुति के नेता 'गजनी' सिंड्रोम से पीड़ित हैं. किसानों को बुवाई के मौसम से पहले लोन माफी मिलनी चाहिए." उन्होंने दावा किया कि बजट सत्र बिना किसी बड़े निर्णय के समाप्त कर दिया गया और जनता के मुद्दों को सुलझाने के बजाय औरंगजेब मकबरे का मुद्दा उठाया गया.
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उन्होंने कहा, "उन्होंने केवल बड़े-बड़े भाषण दिए, ऐसा लगता है कि वे अपना घोषणापत्र भूल गए हैं. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री नाटक के कलाकारों की तरह काम कर रहे थे." सपकाल ने आगे दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागपुर में आरएसएस स्मारक की हालिया यात्रा से पता चलता है कि उन्होंने संघ की ओर रुख किया है क्योंकि प्रधानमंत्री के रूप में उनका पद खतरे में है.
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